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Uttarakhand News: BJP लागू करेगी सख्त भू कानून, 2 बड़े नेताओं के बयान.. जल्द आएगा फैसला

उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सख्त भू कानून की मांग बढ़ने से राजस्व परिषद और शासन स्तर पर गतिविधियां तेज हो गई हैं।

Uttarakhand Strict Land Law: Uttarakhand Bhoo kanun New Update
Image: Uttarakhand Bhoo kanun New Update (Source: Social Media)

देहरादून: कई वर्षों से प्रदेश में मजबूत भू कानून की मांग उठ रही है और जनता सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रही है। इसके बावजूद सरकार ने इस मुद्दे पर अभी तक ठोस कदम नहीं उठाया है। अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस पर बड़ा बयान दिया है।

Uttarakhand Bhoo kanun New Update

उत्तराखंड में लंबे समय से सशक्त भू कानून और मूल निवास की मांग उठ रही है और भाजपा के प्रमुख नेताओं ने इस पर अपने विचार साझा किए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इसे राज्य की अनिवार्य आवश्यकता बताते हुए कहा कि वर्तमान सरकार को इसे प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने आशा जताई कि जल्द ही इस पर ठोस कदम उठाए जाएंगे। उधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि सरकार इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है। उन्होंने बताया कि संबंधित कमेटी लगातार बैठकें कर रही है और इस पर गंभीर चर्चा चल रही है। महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा इस मामले में जल्द ही महत्वपूर्ण निर्णय लेने की तैयारी में है, बीजेपी उत्तराखंड में सख्त भू कानून लाएगी। यह विषय केवल राजनीति से संबंधित नहीं है, बल्कि देवभूमि की पहचान और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने भू कानून में सुधार के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है।

त्रिवेंद्र सरकार में हुआ सबसे बड़ा बदलाव

उत्तराखंड में सख्त भू कानून की मांग में विशेष रूप से 2017 में किए गए संशोधनों का विरोध सबसे ज्यादा हो रहा है। त्रिवेंद्र सरकार के दौरान कृषि, उद्योग, बागवानी, पर्यटन, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य और व्यावसायिक गतिविधियों के लिए भूमि खरीद की सीमा को 12.5 एकड़ से बढ़ाकर 30 एकड़ कर दिया गया। इसके अलावा कुछ विशेष मामलों में 30 एकड़ से अधिक भूमि खरीद की अनुमति भी प्रदान की गई। इससे पहले एनडी तिवारी सरकार के दौरान 2002 में बाहरी लोगों के लिए भूमि खरीद की सीमा 500 वर्ग मीटर तक निर्धारित की गई थी, जिसे बीसी खंडूडी सरकार ने घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया था। फिर भी शासन स्तर से विशेष मंजूरी के तहत भूमि खरीद की प्रक्रिया जारी रही।