उत्तराखंड देहरादूनGolden Mahseer Fish Revived in Uttarakhand After 14 Years of Extinction

उत्तराखंड: 14 साल बाद बढ़ी राज्य मछली की तादात, 9 फीट तक लंबी गोल्डन महाशीर की खास बातें जानिये

उत्तराखंड की राज्य मछली गोल्डन महाशीर को विलुप्ति से बचाने में भीमताल स्थित शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

State Fish Golden Mahseer: Golden Mahseer Fish Revived in Uttarakhand After 14 Years of Extinction
Image: Golden Mahseer Fish Revived in Uttarakhand After 14 Years of Extinction (Source: Social Media)

देहरादून: वैज्ञानिकों की रिसर्च के परिणामस्वरूप उत्तराखंड की विलुप्तप्राय राज्य मछली को 14 साल बाद नया जीवन मिला है। अब उत्तराखंड के जलाशयों में गोल्डन महाशीर की चमक फिर से दिखाई देने लगी है।

Golden Mahseer Fish Revived in Uttarakhand After 14 Years of Extinction

उत्तराखंड की राज्य मछली गोल्डन महाशीर को शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय भीमताल द्वारा नयी जिंदगी दी गई है। इस निदेशालय ने अब तक सिक्किम, मेघालय और केरल को गोल्डन महाशीर के 65 हजार फिंगरलिंग्स प्रदान किए हैं और अरुणाचल प्रदेश को भी 40 हजार फिंगरलिंग्स देने की योजना बना रहा है। वहीं निदेशालय के वैज्ञानिकों ने हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के मत्स्य विज्ञानियों को प्रशिक्षण देकर गोल्डन महाशीर की वंश वृद्धि के तकनीक भी सिखाए हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने वर्ष 2010 में उत्तराखंड की इस राज्य मछली को विलुप्तप्राय घोषित किया था।

वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया विलुप्त होने का कारण

विलुप्त घोषित होने के बाद शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय भीमताल के वैज्ञानिकों ने राज्य मछली के वंश वृद्धि के लिए रिसर्च में गहराई से जुटे। विभिन्न परीक्षणों और तापमान में बदलाव के प्रयोगों के माध्यम से उन्होंने गोल्डेन महाशीर के वंश को फिर से बढ़ाने में सफलता प्राप्त की। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश में विलुप्त हो चुकी यह मछली पुनर्जीवित हो गई है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. मो. शाहबाज अख्तर के अनुसार गोल्डेन महाशीर के विलुप्त होने के मुख्य कारण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक शिकार और जलवायु में बदलाव थे।

उत्तराखंड की नदियों में छोड़े गए हैं लाखों फिंगरलिंग

गोल्डेन महाशीर की लंबाई करीब नौ फीट और वजन 54 किलोग्राम तक पहुंच सकता है। इस मछली की मांग देश के कई हिस्सों में है। निदेशालय ने सिक्किम को 40 हजार, मेघालय को 15 हजार और केरल को 10 हजार गोल्डेन महाशीर के फिंगरलिंग प्रदान किए हैं। उत्तराखंड में नदियों, झीलों और प्राकृतिक जल स्रोतों में लाखों गोल्डेन महाशीर के फिंगरलिंग छोड़े जा चुके हैं और इनके शिकार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। भीमताल हैचरी में नई तकनीकों का उपयोग करते हुए गोल्डेन महाशीर की सालभर उत्पादन की प्रक्रिया जारी है।