चम्पावत: इस मिशन के तहत जिले में 19 हेक्टेयर क्षेत्र में 125 कीवी बगीचे स्थापित किए जा रहे हैं। इस प्रयास से जिले में कीवी उत्पादन को नई ऊंचाइयां मिलेंगी।
Champawat Will Become The Hub of Kiwi Production in Uttarakhand
उत्तराखंड में कीवी मिशन का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना है। इस योजना के तहत प्लांटेशन का कार्य क्लस्टर स्तर पर चल रहा है, जिससे कीवी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। कीवी के पौधे की कीमत 275 रुपये है, लेकिन बेरोजगार युवाओं और काश्तकारों को 80 फीसदी अनुदान मिल रहा है और केवल 20 फीसदी लागत खुद उठानी होगी। पिछले तीन वर्षों में विभाग ने कीवी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को विशेष रूप से प्रेरित किया है। सर्दियों में आमतौर पर कीवी के पौधे रोपे जाते हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में तीन हेक्टेयर, 2023-24 में छह हेक्टेयर और 2024-25 में 10 हेक्टेयर में कीवी की खेती की गई है।
काश्तकारों को 12 लाख तक की वित्तीय सहायता
जिले के लोहाघाट, बाराकोट, पाटी और चंपावत में कीवी उत्पादन अच्छे स्तर पर है। काश्तकारों को कीवी की खेती के लिए 12 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जा रही है, जिसमें 9.60 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में और 2.40 लाख रुपये काश्तकार की ओर से स्वयं देने होंगे। योजना के तहत कीवी बगीचे में घेरबाड़ और बेल फैलाने के लिए ट्रोलिंग सिस्टम भी लगाया जाएगा। जिला उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय ने बताया कि जिले में कीवी उत्पादन की दिशा में युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल 19 हेक्टेयर भूमि पर कीवी की खेती की जा रही है। 2027 तक चंपावत जिला कीवी हब के रूप में अपनी खास पहचान बनाने की योजना है। मुख्यमंत्री ने भी क्लस्टर बेस पर कीवी बागानों की स्थापना पर जोर दिया है।