उत्तराखंड उधमसिंह नगरShubham From Kashipur is Cultivating Mushrooms

उत्तराखंड: IAS बनने से चूके तो शुभम बडोला ने शुरू की मशरूम फार्मिंग, अब लाखों में करते हैं कमाई

सपने टूट सकते हैं, लेकिन असफलता का मतलब यह नहीं कि आपका सफर खत्म हो गया। यह तो नई शुरुआत की ओर एक कदम है।

Mushroom Cultivation: Shubham From Kashipur is Cultivating Mushrooms
Image: Shubham From Kashipur is Cultivating Mushrooms (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: काशीपुर निवासी 36 वर्षीय शुभम का आईएएस बनने का सपना पूरा नहीं हुआ। फिर उन्होंने मशरूम की खेती को अपनाया और अब सालाना 50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं।

Shubham From Kashipur is Cultivating Mushrooms

पिछले कुछ वर्षों में मशरूम का स्वाद लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया है। इस बढ़ती मांग ने कई entrepreneurs को नए व्यापारिक अवसर तलाशने के लिए प्रेरित किया है। काशीपुर के 36 वर्षीय शुभम जिनका आईएएस बनने का सपना अधूरा रह गया, उन्होंने मशरूम के व्यवसाय में कदम रखा और आज वे सालाना 50 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं। प्रतापपुर के ढाई बीघा खेत में शुभम बडोला ने एक आधुनिक फार्म स्थापित किया है, जहां वे बटन किस्म के मशरूम एसी फार्मिंग तकनीक से उगाते हैं। इसके साथ ही वे गुणवत्ता वाली खाद का उत्पादन भी करते हैं। इस कारोबार के माध्यम से न केवल उन्होंने अपने जीवन में बदलाव लाया है, बल्कि कई अन्य किसानों और युवाओं को भी सफलता की राह दिखाई है।

सपना टूटा फिर मशरूम खेती में रची सफलता की कहानी

शुभम का सपना कभी सिविल सर्वेंट बनने का था लेकिन वहां असफलता ने उन्हें एक सफल उद्यमी बना दिया। शुभम डबल एमबीए कर चुके हैं, इन्होने 2010 में यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया। चार साल तक कोशिशें जारी रहीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। इसके बाद उन्होंने गूगल पार्टनर्स के साथ निजी सेक्टर में नौकरी की लेकिन दिल में हमेशा अपने गांव लौटकर कुछ नया करने की चाह बनी रही। 2019 में जब वे अपने गांव बडोली गए तो खेती करने की इच्छा जाहिर की। तब उनके पिता ने सुझाव दिया कि काशीपुर में उनका खुद का खेत है, जहां वे मशरूम की खेती शुरू कर सकते हैं।

शुभम की मेहनत से 300 लोगों को रोजगार

इसके बाद शुभम ने मशरूम की जानकारी इकट्ठा की और फार्म के दो कमरों में मशरूम की फार्मिंग का काम शुरू किया। शुभम ने लॉकडाउन के दौरान मशरूम की खेती का सारा काम खुद संभाला। शुरुआत में सौ से डेढ़ सौ किलो मशरूम काटकर मंडी में सप्लाई करते थे, लेकिन धीरे-धीरे चार कमरों में मशरूम उगाना शुरू किया। अब हर महीने करीब दस टन मशरूम की सप्लाई होती है, जिससे पिछले साल उन्होंने 52 लाख रुपये का बिजनेस किया। उनकी इस सफलता से तीन सौ लोगों को रोजगार भी मिला है।