रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड को देवभूमि ऐसे ही नहीं कहते, यहां कण-कण में देवता बसते हैं। बाबा तुंगनाथ की डोली का कुछ समय पहले ही सोशल मीडिया पर विडियो वायरल हुआ था, जिसमें तृतीय केदार बाबा तुंगनाथ की देव डोली नदियों और गाड-गदेरों में भी अपना रास्ता बना रही थी।
Baba Tungnath Dev Doli makes way through Forest Dept Tents
तुंगनाथ देव डोली का रास्ता इस बार बुग्याल में लगे वन विभाग के टेंटों ने रोक दिया, जिसके बाद डोली 5 घंटे अपने दिवारियों के कंघों पर पारंपरिक रास्ता खोजती रही। दरअसल, इस साल कपाट बंद होने के बाद बाबा तुंगनाथ की देव डोली जब अपने शीतकालीन प्रवास के लिए बुग्यालों से होकर बढ़ रही थी, तो पारंपरिक रास्ते के बीच में चोपता और भनकुन के बीच एक जगह पर वन विभाग के आलीशान टेंट लगे थे। जो पौराणिक और पारंपरिक रास्ते के बीचों-बीच लगे थे।
बुग्याल में वन विभाग के टेंटों ने रोका रास्ता
यहां आकर देव डोली ठिठक गई। वन विभाग के टेंटों ने बाबा की देव डोली का रास्ता रोक दिया था। इसके बाद बाबा की डोली 5 घंटे तक आगे नहीं बढ़ी और दिवारियों के कंधों पर नाचती रही। अपने आराध्य को रुष्ठ होता देख, यात्रा में साथ चल रहे भक्त और ग्रामीण महिलाओं ने भी हाथ जोड़कर देवता को शांत होने की विनती की। धियाणीयों की प्रार्थना सुनकर देव डोली उन्हें सांत्वना देती रही लेकिन अपने पौराणिक और पारंपरिक रास्ते पर वन विभाग का अतिक्रमण देख डोली आगे भी नहीं बढ़ी।
प्रशासन में मच गया हडकंप
इसके बाद BKTC और स्थानीय प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। उपस्थित बड़े अधिकारी ने इस मामले में कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया। इसके बाद लोकल फॉरेस्ट रेंजर और डीएफओ को इसकी सूचना दी गई, वन विभाग हरकत में आया और टेंट कॉलोनी के बीच से रास्ता खोला गया। इसके बाद बाबा की डोली अपने शीतकालीन प्रवास की ओर आगे बढ़ी। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में बाबा तुंगनाथ की देव डोली 5 घंटे भक्तों के कंधों पर ही नाचती रही वह बुग्यालों में अपना रास्ता खोजती रही। ये विडियो भी देखिये..