देहरादून: उत्तराखंड के दिव्यांग युवा पर्वतीय जिलों में नौकरी नहीं करना चाहते, जाहिर है पहाड़ की दुर्गम स्थितियों में काम करना अपने आप में बड़ी चुनौती है। कई नवनियुक्त दिव्यांग सरकारी शिक्षक नौकरी छोड़कर हरिद्वार, नैनीताल, देहरादून आदि सुगम क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं।
230 posts remained vacant after recruitment of government teachers
दरअसल, इन दिनों राज्य के सरकारी स्कूलों के 2,906 पदों पर सहायक अध्यापक नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। शिक्षा निदेशालय की रिपोर्ट के अनुसार, 4 चरणों में हुई काउंसलिंग के बाद 2,296 उम्मीदवारों का चयन किया गया है। इनमें से अधिकांश व्यक्तियों को उनके नियुक्ति पत्र मिल चुके हैं। जबकि अन्य पदों के लिए पांचवें चरण की काउंसलिंग होनी है। उम्मीदवारों ने पहाड़ी जिलों में शिक्षक पदों के लिए आवेदन किया था, उन पदों पर उनकी नियुक्ति होने के बाद भी कई लोग नौकरी छोड़कर अधिक सुलभ जिलों की ओर जा रहे हैं।
खाली रह गए 230 पद
उत्तराखंड में शिक्षक भर्ती में दिव्यांगजनों के लिए 260 पद आरक्षित हैं, लेकिन भर्ती के बाद इनमें से भी 230 पद खाली रह गए हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षा विभाग को पहाड़ी जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति करना एक चुनौती बन गई है। इसके बाद अपर शिक्षा निदेशक आरएल आर्य ने शिक्षा निदेशालय से नौकरी छोड़ने वाले नवनियुक्त शिक्षकों के बारे में सभी जिलों से रिपोर्ट मांगी। अब तक 3 जिलों ने शिक्षा निदेशालय को जानकारी भेजी है। रुद्रप्रयाग जिले में 6 और पौड़ी जिले के 8 नवनियुक्त शिक्षक नौकरी छोड़ चुके हैं। उत्तरकाशी जिले में इस तरह के शिक्षकों की संख्या शून्य है।
नौनिहालों की शिक्षा जरूरी
रिक्त पड़े शिक्षकों के पद केवल रोजगार और नौकरी की दृष्टि से ही नहीं बल्कि नौनिहालों की शिक्षा की उचित व्यवस्था के नजरिये से भी देखा जाना चाहिए। राज्य के अन्य जिलों की रिपोर्ट आनी बाकी है, सरकार से इन पदों पर नियुक्ति के बारे में कार्रवाई करने की जल्द उम्मीद है।