अल्मोड़ा: उत्तराखंड में कई लोग गुमनाम हैं परंतु लंबे समय से लोक हित के साथ ही संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्व योगदान दे रहे हैं। उत्तराखंड में सामाजिक व पर्यावरण के क्षेत्र में अहम कार्य करने वालीं राधा बहन को गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा।
Radha Bhatt gets Padma Shri award on Republic Day
उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है। पिछले 7 दशकों से महिला सशक्तीकरण में जुटी 91 वर्षीय राधा बहिन भट्ट को पद्मश्री सम्मान दिया जाएगा। राधा भट्ट, जो बहन नाम से लोकप्रिय हैं, का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अलमोड़ा के धुरका गाँव में हुआ। वर्ष 1951 में सरला बहन द्वारा कौसानी में स्थापित लक्ष्मी आश्रम में शिक्षिका बनीं राधा भट्ट, 1957 से 61 के बीच सर्वोदय-भूदान आन्दोलन में सक्रिय रहीं। 1957 से 61 के बीच सर्वोदय-भूदान आन्दोलन में सक्रिय रहीं। 1961 से 65 के बीच बौगाड़ में ग्रामीण नव निर्माण का काम किया । नशाबन्दी, वन, टिहरी बाँध तथा खनन विरोधी आन्दोलनों के बाद नदी बचाओ आन्दोलन में सक्रिय हिस्सेदारी।
जीती जागती प्रेरणा हैं राधा भट्ट
उत्तराखंड के पहाड़ों में 25 बाल मंदिर के जरिए राधा भट्ट ने 15000 बच्चों को फायदा पहुंचाया। इसके साथ ही 1 लाख 60 हजार पेड़ लगाकर पर्यावरण संरक्षण की मशाल भी जलाई। राधा भट्ट ने उत्तराखण्ड, हिमालय और शेष देश में लगातार यात्राएँ और जनान्दोलनों में शिरकत की। देश और विदेश में गांधी विचार, पर्यावरण, हिमालय, नयी तालीम, तिब्बत और जनान्दोलनों के साथ मानव तथा स्त्री अधिकार पर लगातार बोलती-लिखती रहीं। वे लक्ष्मी आश्रम, हिमालय सेवा संघ, गांधी स्मारक निधि, कस्तूरबा ट्रस्ट, गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, महिला हाट, गुजरात विद्यापीठ आदि से आप सदा अभिन्न रहीं और संस्था निर्माता-पोषक बनीं। अनेक पुरस्कारों से अलंकृत 90 साल पूरे कर चुकीं राधा बहन हमारे बीच एक जीती जागती प्रेरणा हैं।