उत्तराखंड पिथौरागढ़Shortage of teachers in Govt Girls Inter College Thal

उत्तराखंड: सरकारी विद्यालय के गजब हाल, इंटर के बच्चों को कई वर्षों से पढ़ा रहे हाईस्कूल के शिक्षक

छात्र हैं, शिक्षक नहीं.. कैसे होगा ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’... राजकीय बालिका इंटर कॉलेज थल में नहीं शिक्षक, इंटर की कक्षाओं को पढ़ा रहे जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक

Govt Inter College Thal: Shortage of teachers in Govt Girls Inter College Thal
Image: Shortage of teachers in Govt Girls Inter College Thal (Source: Social Media)

पिथौरागढ़: थल कस्बे की ग्राम प्रशासक दीपा वर्मा ने राजकीय कन्या इंटर कॉलेज थल में प्रवक्ताओं और एलटी शिक्षिकाओं की शीघ्र नियुक्ति की मांग के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत सहित जिलाधिकारी, मुख्य शिक्षाधिकारी और खंड शिक्षाधिकारी को पत्र भेजा है।

Shortage of teachers in Govt Girls Inter College Thal

पत्र में उन्होंने कहा कि 1989 में थल क्षेत्र में एकमात्र बालिका जूनियर हाईस्कूल की स्थापना की गई थी। 2005 में बालिका जूनियर हाईस्कूल का उच्चीकरण करके राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की स्थापना की गई। वर्तमान में यहां 260 से अधिक बालिकाएं पढ़ाई कर रही हैं।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ.. पर कैसे ?

उन्होंने कहा कि एक ओर सरकार कहती है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, लेकिन जब स्कूल में अध्यापक ही नही होंगे तो बेटियां कैसी पढ़ाई करेंगी? पहाड़ो में पलायन का एक मुख्य कारण शिक्षा भी है। जब विद्यालयों में शिक्षक नहीं होगी तो पढ़ाई कहां से होगी। राजकीय बालिका इंटर कॉलेज थल में इंटर स्तर में विगत 12 वर्षों से अंग्रेजी, संस्कृत हिंदी विषय के प्रवक्ता पद रिक्त चल रहे हैं। हाईस्कूल के एलटी में तीन साल से हिंदी और सामाजिक विज्ञान विषयों पर शिक्षिकाओं की तैनाती नहीं हो सकी है। 1989 से हाईस्कूल में संस्कृत विषय और 2005 से इंटर में भूगोल विषय के पद का सृजन ही नही हो पाया हैं। चार साल से प्रधानाचार्य का पद भी रिक्त चल रहा हैं.प्रभारी प्रधानाचार्य से काम लिया जा रहा है।

छात्र हैं, शिक्षक नहीं

दीपा वर्मा ने कहा कि सरकार एक ओर बालिका शिक्षा के तहत बालिकाओं को स्कूल पढ़ाओ की योजना बनाती है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों में शिक्षिकाओं की नियुक्ति न कर उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगाती है। उन्होंने शीघ्र रिक्त पद भरने की मांग की है। ऐसा न होने पर वे तमाम महिलाओं के साथ उग्र आंदोलन के लिए सड़कों में उतरने को बाध्य होंगी।