देहरादून: उत्तराखंड की नई आबकारी नीति के तहत, सरकार ने उन शराब की दुकानों को स्थायी रूप से बंद करने के आदेश दिए हैं, जहां स्थानीय लोगों द्वारा शराब की दुकान खोले जाने का विरोध किया जा रहा है।
Public protest liquor shops will closed in Uttarakhand
उत्तराखंड में नए वित्तीय वर्ष में खुलने वाली शराब की दुकानों के खिलाफ स्थानीय लोग, महिलाओं और बच्चों द्वार राज्य के कई स्थानों पर व्यापक विरोध हो रहा था। कई लोग दुकानें खोलने की सूचना मिलने पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे। ऐसे में सरकार ने जन भावनाओं का सम्मान करते हुए उत्तराखंड में विवादित शराब की दुकानों को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है, साथ ही उन दुकानों का लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा।
जिला आबकारी अधिकारियों को भेजा गया पत्र
आबकारी आयुक्त हरि चंद्र सेमवाल ने बीते 14 मई की शाम को सभी जिला आबकारी अधिकारियों को एक पत्र भेजा है। उक्त पत्र के जरिए उन्होंने सभी जिला आबकारी अधिकारियों से ऐसी शराब की दुकानों के बारे में जानकारी की मांग की है कि उनके जिले में कितनी दुकानें ऐसी हैं, जहां स्थानीय लोगों द्वारा वित्तीय वर्ष में शराब की दुकान खोले जाने का विरोध किया जाता है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि जन विरोध और जन संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए उन शराब की दुकानों को स्थायी रूप से बंद किया जाए।
लाइसेंसधारियों को जमा राशि वापस मिलेगी
उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को आबकारी नीति विषयक नियमावली-2025 के नियम 28.1 और 28.4 (ए) का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। जहां स्थानीय लोगों द्वारा शराब की दुकान विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्थानीय जनता के आक्रोश और उनकी भावनाओं को देखते हुए यह निर्णय मुख्यमंत्री के निर्देश पर लिया गया है। इन स्थानों पर यदि लाइसेंसधारी द्वारा राजस्व में कोई राशि जमा की गई है, तो उसे वापस किया जाएगा। जानकारी के अनुसार, अल्मोड़ा, देहरादून समेत कई स्थानों पर लगभग 4 से 5 दुकानें ऐसी हैं जहां शराब की दुकान खोलने पर हमेशा जन विरोध होता है।
500 करोड़ के राजस्व की हानि
आबकारी आयुक्त हरिचंद्र सेमवाल ने बताया कि इससे सरकार को लगभग 500 करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने आबकारी के लिए 4440 करोड़ का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित किया था, जिसे इस वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर 5060 करोड़ कर दिया गया। इसके अनुसार, जो राजस्व प्राप्त होना था, वह लगभग 2519 करोड़ प्रस्तावित था। इसमें 2400 करोड़ रुपए का सेटलमेंट और शेष 119 करोड़ के हिसाब से कुल 500 करोड़ के राजस्व की हानि का अनुमान लगाया जा रहा है।