उत्तराखंड नैनीतालIAS Deepak Rawat inspected the DDA office

उत्तराखंड: DDA ऑफिस में IAS दीपक रावत का छापा, 26 सालों से लटके मिले केस.. फाइलें भी मिलीं गायब

DDA कार्यालय में आकस्मिक निरीक्षण के दौरान कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत को कई लापरवाहियां देखने को मिली। कमिश्नर रावत ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कमियों को 10 दिनों के भीतर सुधारने और रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

IAS Deepak Rawat: IAS Deepak Rawat inspected the DDA office
Image: IAS Deepak Rawat inspected the DDA office (Source: Social Media)

नैनीताल: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने जिला विकास प्राधिकरण कार्यालय में आकस्मिक निरीक्षण किया, कार्यालय के रिकॉर्ड रूम का भी अवलोकन किया। अधिकारियों से लंबित मामलों की फाइलें मांगी, तो इतनी लापरवाहियां दिखीं कि कुमाऊं कमिश्नर भी दंग रह गए।

IAS Deepak Rawat inspected the DDA office

कुमाऊं कमिश्नर ने पाया कि प्राधिकरण कार्यालय में साल 1999 से अब तक की कई ऐसी फाइलें हैं, जिनके मामले अब तक नहीं सुलझाए गए हैं। आईएएस ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए प्राधिकरण में वर्षों से लटके मामलों को शीघ्र निपटाने के निर्देश दिए। इसके अलावा प्राधिकरण कार्यालय से कई फाइलें गायब होने की भी जानकारी मिली, इस पर उन्होंने ने अधिकारियों को तीन दिन के भीतर गायब फाइलों को उनके पास पहुंचाने के आदेश दिए।

शीघ्र निबटाये जायें लंबित केस

कमिश्नर दीपक रावत ने भवन मानचित्र की स्वीकृति, अवैध भवनों के निर्माण पर की जा रही कार्रवाई, लंबित मामलों की सुनवाई, अभिलेखों के डिजिटलाइजेशन कार्य और कंपाउडिंग जैसे कार्यों की जानकारी लेते हुए अभिलेखों का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारियों को लंबित मामलों का समाधान करने, अवैध निर्माण पर तुरंत उचित कार्रवाई करने, कार्यालय में दस्तावेजों का सही तरीके से रखरखाव करने और मामलों को सूचीबद्ध तरीके से वर्गीकृत करते हुए अंकित करने के निर्देश दिए। आईएएस दीपक रावत ने आदेश दिए कि सबसे पुराने मामलों का समाधान पहले किए जाए, इसके अलावा लंबित मामलों की वर्षवार और श्रेणीवार सूची तैयार करते हुए सप्ताह भर में रिपोर्ट पेश की जाए।

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उन्होंने कहा कि सुनवाई के लिए लंबी अवधि तक तिथि न देना एक गंभीर लापरवाही है, वादों का निस्तारण न करना और लंबे समय तक तिथि न देना अतिक्रमण को बढ़ावा देने के समान है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह के भीतर ऐसे मामलों की सूची तैयार की जाए और कारण सहित उन्हें उपलब्ध कराया जाए। यदि एक सप्ताह में सूची प्राप्त नहीं होती है, तो संबंधित को प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी। अगले 10 दिनों में ऐसे मामलों पर तिथि निर्धारित करते हुए संबंधित विपक्ष के घर जाकर तामील कराएं।