देहरादून: उत्तराखंड में गर्मियों की छुट्टियों के बाद स्कूल फिर से खुल गए हैं। उत्तराखंड में इस वक्त बरसात भी पूरे चरम पर है। बच्चों ने स्कूल आना शुरू कर दिया है लेकिन उत्तराखंड के 942 स्कूल में इन बच्चों की जान को खतरा है।
Safety of students at risk in 942 schools of Uttarakhand
उत्तराखंड जूनियर हाई स्कूल शिक्षा संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने मीडिया को बताया कि बरसात के मौसम में वैसे ही बच्चों को खतरा होता है, इसके साथ ही स्कूलों के जर्जर भवन इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। पूरे उत्तराखंड में 942 स्कूलों की स्थिति जर्जर है, जो छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंतित कर रही है।
13 जिलों में 942 स्कूलों की स्थिति दयनीय
इनमें सबसे ज्यादा 163 स्कूल पिथौरागढ़ जिले में शामिल हैं। इसके बाद 135 स्कूल अल्मोड़ा में, 133 स्कूल टिहरी गढ़वाल जिले में, 125 जर्जर स्कूल नैनीताल जिले में तो 107 पौड़ी गढ़वाल में स्थित है। राजधानी देहरादून में भी स्कूलों की स्थिति कुछ खास नहीं है, यहां अभी भी लगभग 84 स्कूल जर्जर स्थिति में है जहां बच्चों की जान को खतरा हो सकता है। देहरादून के रायपुर विकास नगर चकराता और कालसी क्षेत्र की कई स्कूल बेहद जर्जर स्थिति में है। रिपोर्ट के अनुसार उधम सिंह नगर में 55, हरिद्वार में 35, रुद्रप्रयाग जिले में 34, चमोली में 18, चंपावत में 16, उत्तरकाशी में 12 और बागेश्वर में 6 स्कूल ऐसे हैं जिनकी स्थिति दयनीय और जर्जर है।
कहीं टपक रही छत, कहीं फर्श पानी से सरोबार
इनमें से कई स्कूलों में सुरक्षा दीवार नहीं है तो कुछ में छत टपक रही हैं। कहीं पानी भरने से फर्श दिख ही नहीं रहा और कहीं भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ मुकुल कुमार सती ने बताया कि माध्यमिक स्तर पर 19 स्कूल भवनों की स्थिति बेहद खराब थी जिनमें से कुछ को तोड़कर नहीं भवन बनाए गए लेकिन अभी भी काफी स्कूलों के भवन जर्जर स्थिति में है।