रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में दो महीने की चार धाम यात्रा के बाद पर्यावरण के बुरे हाल हैं। प्लास्टिक कचरे के ढेर चारों ओर दिख रहे हैं। जगह जगह नदियां शराब, कोल्ड-ड्रिंक्स और पानी की बोतलों से भरी पड़ी हैं। पर्यावरणविद और वैज्ञानिक चीख-चीख कर प्रकृति को बचाने की गुहार लगा रहे हैं। और ठीक इसी समय उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का एक अटपटा बयान आता है, महाराज अपने अधिकारियों को निर्देश देते हैं कि उत्तराखंड के बुग्यालों में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा कैंपिंग पर लगाई रोक हटनी चाहिए।
Satpal Maharaj instructs to set up tents in Bugyals
उत्तराखंड में पर्यटकों की भारी भीड़ के बाद जगह-जगह लगे प्लास्टिक के ढेरों को देखकर, पर्यावरण बचाने के लिए वैज्ञानिक पर्यटकों से अपील कर रहे हैं। केदारनाथ-बदरीनाथ-गंगोत्री-यमुनोत्री सहित पूरे पहाड़ में फिलहाल प्लास्टिक कूड़े की निकासी का कोई पुख्ता बंदोबस्त नहीं है। आप किसी भी ओर चले जाइए, हर तरफ बाजारों के आसपास आपको प्लास्टिक के ये ढेर दिख जायेंगे। नदियों-गाड-गदेरों में बहकर जमा हो रहा ये प्लास्टिक आने वाली बड़ी आपदा को भी न्योता है।
प्लास्टिक के अंबार पर वैज्ञानिक चिंतित
अल्मोड़ा में वैज्ञानिकों ने पर्यटकों से अपील की है कि वे उत्तराखंड में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों से बचें। वैज्ञानिक चिंतित हैं, कि पर्यटन, विशेष रूप से भीड़भाड़ वाला पर्यटन अपने साथ प्लास्टिक का अंबार ला रहा है, जो पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे उत्तराखंड में प्रदूषण बढ़ रहा है और पहाड़ों की जैव विविधता का भयानक नुकसान हो रहा है। वैज्ञानिकों ये अपील की है कि पर्यटक जिम्मेदारी से यात्रा करें और उत्तराखंड के पर्यावरण को बचाने में मदद करें।
चोपता में टेंट लगाने की मिले अनुमति: सतपाल महाराज
इधर, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि उत्तराखंड के बुग्यालों में नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा कैंपिंग करने पर जो रोक लगायी गई है, उसे हटाने के प्रयास करने चाहिए। पर्यटन मंत्री ने एक बैठक के दौरान अधिकारियों को बताया कि उन्होंने हाल ही में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव के देहरादून आगमन के समय हुई मुलाकात के दौरान उनके सामने भी ये बात रखी है। महाराज ने कहा कि रुद्रप्रयाग जिले के चोपता में टेंट लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके साथ ही चमोली में वाण से रूपकुंड और घेस से बगजी ट्रैक दोनों ट्रैक जो कि बद्रीनाथ वन प्रभाग के अंतर्गत आते हैं उनको और नंदा देवी ट्रैक को खोलने के प्रयास करने चाहिए।
कितने जिम्मेदार हैं हमारे नेता ?
उत्तराखंड के बुग्यालों में पर्यावरण को बचाने के लिए नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा कैंपिंग गतिविधियों पर रोक लगायी गई है, लेकिन स्वयं पर्यटन मंत्री को ये अखर रहा है। वैज्ञानिक चीख चीख कर उत्तराखंड के पर्यटन को बचाने की दुहाई दे रहे हैं और इसी समय पर्यटन मंत्री के इस तरह के बयान आते हैं तो आप स्वयं सोचिये और समझिये, कि उत्तराखंड के लिए कितने जिम्मेदार हैं यहां के नेता ? चोपता का ये विडियो भी देखिये...