उत्तराखंड टिहरी गढ़वालDouble railway tunnel across between Devprayag-Janasu

उत्तराखंड: शिव और शक्ति की हुई कृपा, देवप्रयाग-जनासू के बीच देश की सबसे लंबी रेल सुरंग तैयार

टिहरी जिले के देवप्रयाग से जनासू के बीच 14.58 किमी लंबी दोहरी सुरंग का निर्माण भी पूरा हो चुका है। इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना की विशेषताओं के कारण इन सुरंगों की खुदाई के लिए जर्मनी से विशेष TBM मशीनें आयात की गई थी।

Double railway tunnel: Double railway tunnel across between Devprayag-Janasu
Image: Double railway tunnel across between Devprayag-Janasu (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के अंतर्गत देवप्रयाग से जनासू के बीच की दोहरी रेलवे सुरंग का निर्माण भी सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। टनल बोरिंग मशीन शिव और शक्ति की सहायता से देश की सबसे लंबी रेल सुरंग को रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। देवप्रयाग से जनासू के बीच की पहली सुरंग का निर्माण बीते 16 अप्रैल को पूरा हो चुका है।

Double railway tunnel across between Devprayag-Janasu

उत्तराखंड में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे सुरंग 125 किलोमीटर लंबी है जिसमें आए दिन विभिन्न क्षेत्रों में सुरंगे आर पार हो रही है। इसी बीच भारतीय रेलवे ने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना के अंतर्गत देवप्रयाग से जनासू के बीच 14.58 किलोमीटर लंबी दोहरी रेल सुरंग का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया है। ये पूरे प्रदेश के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है। यह सुरंग देश की सबसे लंबी सुरंग है, जिसे पूरा करना अपने आप में एक चेलेंज था।

जर्मनी से आयात की गई थी विशेष TBM मशीनें

बीते 30 जून सोमवार को टिहरी जिले के देवप्रयाग से जनासू के बीच 14.58 किमी लंबी दोहरी सुरंग का निर्माण पूरा हुआ है। इस क्षेत्र की भूगर्भीय संरचना की विशेषताओं के कारण इन सुरंगों की खुदाई के लिए जर्मनी से विशेष TBM मशीनें आयात की गई थीं। जिसके बाद देवप्रयाग और जनासू के बीच की सुरंग का निर्माण टीबीएम शिव और टीबीएम शक्ति का उपयोग करके किया गया है। टीबीएम शिव ने 820 दिनों में देवप्रयाग से जनासू के बीच सुरंग का कार्य पूरा किया। वहीं टीबीएम शक्ति ने देवप्रयाग और जनासू के बीच की पहली सुरंग का निर्माण 851 दिनों में यानि 16 अप्रैल 2025 को पूरा किया।

तीन किमी से अधिक लंबी सुरंग के साथ एक निकासी सुरंग

ये दोनों टीबीएम मशीनें हाइड्रोलिक कटिंग तकनीक से लेस हैं, इनकी सहायता से 6.5 मीटर व्यास की सुरंग खोदने में भी सफलता प्राप्त की है। यह सुरंग भी 125 किमी लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का ही हिस्सा है। आपको बता दें कि इस परियोजना में सुरंग सुरक्षा मानकों के तहत, तीन किलोमीटर से अधिक लंबाई वाली हर सुरंग के साथ एक निकासी सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। मुख्य सुरंग और निकासी सुरंग को 375 मीटर की दूरी पर क्रॉस पैसेज के जरिए जोड़ा गया है, जिससे आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला जा सके।