उधमसिंह नगर: वन सुरक्षा इकाई ने तराई पश्चिमी वन प्रभाग में शातिर तरीके से हो रही लकड़ी तस्करी का पर्दाफाश किया गया है, साथ ही इस मामले में चार कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। एसडीओ किरन शाह के नेतृत्व में वन विभाग की टीम द्वारा की जांच के दौरान मामले का भंडाफोड़ हुआ है।
Four officers suspended in wood smuggling case
जानकारी के अनुसार उधम सिंह नगर जिले के रामनगर के चांदनी डिपो से एक ट्रक (UP-25BT-6927) काशीपुर की ओर में जा रहा था। उसी दौरान एसडीओ किरन शाह के नेतृत्व में वन विभाग की टीम बैलपड़ाव बैरियर पर चेकिंग अभियान चला रही थी। जब साल की लकड़ियों से भरा ट्रक बैलपड़ाव बैरियर के पास पहुंचा, तो एसडीओ किरन शाह ने उसे रोक लिया। इसके बाद उन्होंने ट्रक से लकड़ियां उतरवाकर उनकी गिनती की। गिनती के दौरान यह पता चला कि ट्रक में निर्धारित संख्या से 44 नग अतिरिक्त लकड़ियां लदी हुई थी। रवन्ने में 180 नग दर्शाएं गए हैं लेकिन ट्रक से 224 नग बरामद हुए हैं।
44 अतिरिक्त और 7 नग ओवर साइज
वन निगम की डीएसएम सावित्री गिरि ने जानकारी दी कि तराई पश्चिमी वन प्रभाग में चांदनी डिपो से निकले ट्रक में रवन्ने में दर्ज 180 नगों की जगह 224 नग मिली, इसके अलावा इनमें लकड़ियों के 7 नग ओवर साइज प्रकाष्ठ के भी थे। उन्होंने बताया कि इस मामले की प्रारंभिक जांच में चांदनी डिपो के चार कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। इनमें डिपो अधिकारी उमेश भट्ट, प्लाट प्रभारी बालम सिंह बिष्ट, सह प्लाट प्रभारी अमन और आउटसोर्स कर्मचारी गौरव सती शामिल हैं। इन चारों अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जा चुकी है। आउटसोर्स कर्मचारी गौरव सती की सेवा समाप्ति की सिफारिश की गई है। इस मामले में उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है।
पुलिस टीम करेगी मामले की जांच
सावित्री गिरि ने आगे बताया कि कालाढूंगी पुलिस को लकड़ी तस्करी के मामले में तहरीर सौंप दी गई है। कालाढूंगी पुलिस द्वारा अब इस मामले में आगे की विधिक कार्रवाई की जाएगी। इस मामले के तहत इस बात की भी जांच की जाएंगी की इस लकड़ी घोटाले में इन चार अधिकारियों के अलावा भी कोई और अधिकारी शामिल हैं या नहीं? वन विभाग की इस कड़ी कार्रवाई ने लकड़ी तस्करों को एक सख्त संदेश दिया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार की गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल किसी भी कर्मचारी को नहीं बख्शा जाएगा, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी कई बार हो चुकी है इस प्रकार की तस्करी
सूत्रों के अनुसार, उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश को लंबे समय से लकड़ी की सप्लाई की जा रही है। पुलिस ने पहले कई बार तस्करी करते हुए वाहनों को पकड़ा है। लेकिन मामला कुछ समय के बाद कागजों में ही ठंडा पड़ जाता है। ट्रक में ओवरसीज लकड़ी का मिलना डिपो में हो रही मापदंडों की अनदेखी को दर्शाता है, वहीं रवन्ने में 180 और ट्रक में 224 नगों का मिलना दस्तावेजों में हेरफेर की आशंका को व्यक्त करता है। ऐसे मामलों में विभाग को चाहिए कि एक विशेष जांच टीम का गठन करे, जो पिछले 6 महीने से लेकर एक साल तक के सभी रवन्नों की जांच करे। यूपी भेजे गए हर ट्रक के वजन और आकार का मिलान किया जाए और इससे पहले पकड़े गए मामलों को भी दोबारा खोला जाए। ये मामले अगर केवल कागजों तक सीमित रहेंगे तो वन तस्करी की गतिविधियाँ भी जारी रहेंगी।