उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालmalvika rawat of pauri garhwal become army officer

पहाड़ की जांबाज बेटी बनी आर्मी अफसर, देशभर से मिले बधाई संदेश

पहाड़ की बेटियों में दम है और ये बात एक बार फिर से साबित हो गई है। पौड़ी जिले की बेटी ने आर्मी अफसर बनकर दिखाया, तो देशभर से बधाई संदेश मिले हैं।

malvika rawat: malvika rawat of pauri garhwal become army officer
Image: malvika rawat of pauri garhwal become army officer (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड को देवभूमि के साथ वीरभूमि भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के बेटे ही नहीं बेटियां भी देश की सेवा करने के मौके से चूकती नहीं है। खासतौर पर बेटियों ने हर बार साबित किया है कि चाहे कोई भी काम हो, वो मुश्किलों से नहीं घबराती। ऐसे ही पौड़ी गढ़वाल एक और बेटी है, जिसने देशसेवा की राह को चुना और अपने कदम इस दिशा में बढ़ाती चली गई। इस बार मालविका रावत ने इस फेहरिस्त में अपना नाम शामिल कर राज्य का मान बढ़ाया है। चेन्नई स्थित आफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी में कड़ी ट्रैनिंग के बाद मालविका भारतीय सेना का हिस्सा बन गई है। एकेडमी में 49 हफ्तों के प्रशिक्षण के बाद मालविका सहित 253 कैडेट्स भव्य पासिंग आउट परेड में शामिल हुए। इन 253 कैडेट्स में 213 पुरुष और 40 महिला शामिल रही।

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मालविका रावत ने टेक्निकल एंट्री से चयनित होकर ओटीए में ज्वाइन किया और अब वो सेना में अधिकारी बन अपनी सेवाएं देंगी। पासिंग आउट परेड में मालविका रावत के पिता टीएस रावत और माता मंजू रावत शामिल हुए और अपनी बेटी को बैच लगाकर गौरवपूर्ण पलों के साक्षी बने। मूल रूप से पौड़ी जिले के पाली पट्टी गांव निवासी मालविका अपने परिवार के साथ रुड़की में रहती हैं। उनके पिता टीएस रावत सीआइएसएफ (केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) भेल हरिद्वार के प्रमुख कमांडेंट के पद पर है। उत्तराखंड की इस बेटी की शिक्षा की बात करें तो मालविका रावत ने केंद्रीय विद्यालय चंबा-2 से 10वीं और 12वीं कक्षा पास की थी। इसके बाद मालविका रावत ने ग्राफि‍क एरा विश्वविद्यालय देहरादून से बीटेक पासआउट किया।

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इसके बाद उन्होंने साल 2017 में सेना की टेक्निकफेंट्री औऱ भारतीय वायु सेना की परीक्षा दी। इसे मालविका की मेहनत ही कहा जाएगा कि वो अपनी पहली कोशिश में ही दोनों विभागों में सर्विस सलेक्शन बोर्ड की ओर से चयनित हुई। लेकिन उन्होंने देश की सेवा के लिए भारतीय सेना को चुना। हालाकि इस फैसले के पीछे की वजह मालविका ने अपने दादाजी को बताया। उन्होंने बताया कि उनके दादाजी विजय सिंह रावत भी भारतीय सेना में अधिकारी थे। इसलिए उन्होंने भारतीय वायु सेना की जगह भारतीय थल सेना को चुना। कुल मिलाकर कहें तो एक बार फिर से उत्तराखंड के लिए गौरवशाली पल है। एक बार फिर से पहाड़ की एक बेटी ने अपने कंधों पर सेना के सितारे सजा दिए। देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहने वाली इन बेटियों को राज्य समीक्षा का सलाम।