: कहते हैं कृष्ण भक्ति का रंग ही अनूठा है। इस रंग में जो भी डूबा वो भवसागर को पार कर गया। मन परेशान है.. तो माधव को याद कीजिए, जीवन अगर किसी द्वंन्द से गुजर रहा.. तो माधव को याद कीजिए, हर मुश्किल और हर बाधा को जो अपनी मधुर मुरली की तान से दूर करे..वो कान्हा ही तो हैं। आज हम आपको कृष्ण भक्ति के रंग में डूबा एक गढ़वाली भजन दिख रहे हैं। हमें यकीन है कि आपको ये बेहद पसंद आएगा। भगवान कृष्ण की मायावी दुनिया और उस मायावी दुनिया तक पहुंचाया शब्दों का मायाजाल। चुन-चुनकर गढ़वाली शब्दों का चुनाव ऐसे किया गया है, जैसे वो शब्द प्रभु की स्तुति के लिए ही बने हों। कुछ भी कहिए ये अद्भुत है। तुषार द्वारका डिमरी की आवाज इस गढ़वाली भजन के साथ बेहतर पर बेहतर होती चली गई।
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दरअसल आज के दौर में गढ़वाल में कई गायक हैं लेकिन ये बात भी सच है शब्दों की कमी की वजह से वो गायक बेअसर साबित हो रहे हैं। ऐसे में सही वक्त पर सही शब्दों का चुनाव कैसे किया जाना है, वो इस गढ़वाली भजन को देखकर और सुनकर आप अंदाजा लगा सकते हैं। शिवम भट्ट के लिरिक्स कमाल के हैं। टीम टोरनेडो का काम बेहतरीन है। आरुषि खरोला खऊबसूरत गोपी नज़र आ रही हैं। इस बार आपको कुछ अलग अहसास होगा। थोड़ा सा सुकून का वक्त है तो जरूर सुनिए ये भजन।