देहरादून: क्या करें ? किस चीज का रोना रोएं? आखिर किन आंखों से सुनहरे उत्तराखंड का सपना देखें? आखिर कैसे मान लें कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर तरीके से काम कर रही हैं। जहां एक गर्भवती मां की डिलिवरी फर्श पर हो जाती है। इसके बाद मां और नवजात की मौत हो जाती है। इसके बाद हंमागा मचता है और हमेशा की तरह ये मामला भी कागजी फाइलों में कहीं कैद होकर रह जाएगा। ये है उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्वास्थ्य सुविधाओं का सच..ज़रा सोचिए फिर पहाड़ी इलाकों का क्या होगा। देहरादून के दून महिला अस्पताल में 15 सितंबर को उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ की एक गर्भवती महिला को एडमिट करवाया गया था। अस्पताल में बेड ना होने की वजह से उसे फर्श पर ही लेटाया गया। गुरुवार तड़के सुबह महिला को प्रसव पीड़ा होने लगी थी।
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सुबह 4 बजे प्रसव के दौरान मां और नवजात की मौत हो गई। इसके बाद अस्पताल में मौजूद लोगों ने डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया और हंगामा कर दिया। तब जाकर सीएमएस ने डॉक्टर पर कार्रवाई की बात कही और मामला शांत हो पाया । इस अस्पताल में 113 बेड किसी तरह से लगाए गए हैं। अस्पताल में रोजाना 150 से 155 मरीज भर्ती किए जाते हैं। इस वजह से गर्भवती महिलाएं फर्श पर जहां तहां लेटी मिल जाएंगी। ऐसा भी देखने को मिलता है कि एक वार्ड में एक बिस्तर पर दो दो महिलाएं भर्ती हैं। इस वजह से इनफेक्शन का खतरा बरकरार रहता है। खबर तो ये भी है कि पहले इस अस्पताल से गंभीर स्थिति में गर्भवती को श्री महंत इंदिरेश अस्पताल रेफर किया जाता था। लेकिन मेडिकल कॉलेज बनने के बाद ये व्यवस्था भी भंग हो गई। अब दिक्कतें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं, जिसके परिणाम सामने दिख रहे हैं।