देहरादून: वो दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड में लोगों को पोर्टेबल पेट्रोल पंप के जरिए तेल मिला करेगा। इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा होगा राज्य के उन सुदूरवर्ती स्थानों को जहां पेट्रोल पंप नहीं होने की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सबसे खास बात यs है कि इस तरह के प्रट्रोल पंप के लिए ज्यादा जमीन की जरुरत नहीं होती है। आपको बता दें कि इस तरह की तकनीक वाले पेट्रोल पंप का इस्तेमाल चेक गणराज्य में काफी होता है। उत्तराखंड में आयोजित दो दिवसीय इंवेस्टर्स समिट के दौरान देश दुनिया से कई मेहमानों ने शिरकत की। इसी दौरान समिट में शामिल हुए एलिंज कंपनी ने प्रदेश सरकार को पोर्टेबल पेट्रोल पंप का प्रस्ताव दिया। बता दे कि इस तकनीक का इस्तेमाल अभी भारत में नहीं होता है।
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एलिंज कंपनी को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार उनके इस प्रस्ताव को मंजूरी देगी ताकि वो उत्तराखंड में इस तरह के पेट्रोल पंप स्थापित कर सके। इन्वेस्टर्स समिट में शिरकत करने पहुंचे एलिंज कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर इंद्रजीत प्रुथी ने इस बात की जानकारी दी । उन्होंने पोर्टेबल पेट्रोल पंप की खासियत बतायी कि सिर्फ दो घंटे के अंदर इस पेट्रोल पंप को लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इन पेट्रोल पंपों की क्षमता 20 हजार लीटर से लेकर 35 हजार लीटर पेट्रोल रखने की है। इन्हें लगाने की लागत 90 लाख से एक करोड़ के बीच है। इस प्रोजेक्ट में अच्छी बात यह है कि बैंक भी इसमें 90 प्रतिशत फाइनेंस देने को तैयार हैं। एलिंज ग्रुप इसके लिए उत्तराखंड में 800 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रहा है। पहाड़ के अलग अलग जिलों में ऐसे पेट्रोल पंप तैयार होंगे। सबसे बड़ा फायदा यह कि इन्हें कहीं भी आसानी से ले जाकर स्थापित किया जा सकता है।
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चेक गणराज्य के प्रथम सचिव मिलान टोउस ने कहा कि ये तकनीक काफी अच्छी है और इसका इस्तेमाल चेक गणराज्य में काफी होता है। कई देश अब इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दे कि इसी साल अगस्त में केंद्र सरकार ने इन पेट्रोल पंपों को स्थापित करने के लिए मंजूरी दी है। वही एलिंज कंपनी की बात करे तो वो अपने भारत के प्रजेक्ट की शुरुआत उत्तराखंड से करना चाहती है। आपको बता दें कि पेट्रोल अति ज्वलनशील होता है। इसलिए इसकी बिक्री के मानक बेहद कड़े होते हैं। सके लिए जमीन के अंदर काफी गहराई में लोहे का टैंक स्थापित किया जाता है। अब तक जमीन के ऊपर पेट्रोल-डीजल की बिक्री की इजाजत नहीं थी। लेकिन अब पोर्टेबल पंप संचालन को मंजूरी दे दी गई है। देखना होगा कि आगे योजना कितनी कारगर साबित होती है।