उत्तराखंड रुद्रप्रयागstory of dm mangesh ghildiyal wife usha ghildiyal

उत्तराखंड के लोकप्रिय DM की पत्नी..एशो-आराम छोड़ा, पहाड़ में जलाई शिक्षा की अलख

उषा घिल्डियाल...रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल की पत्नी आज समाज के लिए प्रेरणा साबित हो रही हैं। ये कहानी जानकर आपको गर्व होगा।

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Image: story of dm mangesh ghildiyal wife usha ghildiyal (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: राज्य समीक्षा के लेखों में हमारी ये कोशिश होती है कि आपको कुछ अलग और हटकर कहानियों से रूबरू कराएं। कुछ ऐसी कहानियां जो आपको सूचना के साथ जीने का सलीका भी सिखाए। आज फिर से हम पहाड़ की एक सच्ची और अच्छी कहानी आपको बताने जा रहे हैं। आपने कई अधिकारियों और उनके परिवारों को शानो-शौकत से जीते देखा होगा। आप में से कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जो बड़े अधिकारियों की ज्यादती के शिकार हुए होंगे। लेकिन हम आपको पहाड़ की एक ऐसी महिला के बारे में बता रहे हैं, जिसे उत्तराखंड ही नहीं पूरा देश सलाम कर रहा है। ये हैं रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल की पत्नी ऊषा घिल्डियाल। अपने कर्मों से ज़माने को सीख देने वाली ऊषा घिल्डियाल के बारे में जो भी सुनता है, वो उनका मुरीद हो जाता है। जिन गांवों में जाने से कतराता है, उस जगह पर उषा घिल्डियाल शिक्षा के अलख जला रही हैं।

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डीएम की पत्नी को भला किस चीज की कमी होगी ? बावजूद इसके वो स्कूलों में जाती हैं और बच्चों को पढ़ाती हैं। आपको जानकर ये हैरानी होगी कि उषा घिल्डियाल पेशे से शिक्षक नहीं हैं लेकिन जज्बा ऐसा है, जिसे देखकर पेशेवर शिक्षक उनके कायल हैं। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के साथ-साथ बच्चों को जवाहर नवोदय विद्यालय समेत और सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाती हैं उषा घिल्डियाल। हर हफ्ते ज्वलंत मुद्दों पर बच्चों के साथ डिबेट करना उषा घिल्डियाल का पसंदीदा काम है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी जरुरत पड़े बच्चे बड़े मंचों पर देश के ज्वलंत मुद्दों पर कुछ बोल सकें। उषा उन डेली रुटीन वाले शिक्षकों के लिए आइना हैं, जो महज़ खानापूर्ति करने के लिए स्कूल पहुंचते हैं। ऊषा घिल्डियाल उन शख्सियतों में से हैं जिन्होंने जमाने की चुनौतियों के सामने कभी हार नहीं मानी।

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ऊषा घिल्डियाल गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्व विद्यालय पंतनगर से प्लांट पैथोलॉजी में डाक्टरेट उपाधि धारक हैं। वो सीनियर वैज्ञानिक रह चुकी हैं। लेकिन, अब नौकरी छोड़कर रुद्रप्रयाग जिले में शिक्षा की बेहतरी के लिए काम कर रही हैं। जब उन्हें बता चला कि राजकीय बालिक इंटर कॉलेज में अंग्रेजी की शिक्षक नहीं हैं, तो वो खु ही छात्राओं को पढ़ाने लगीं। वो राजकीय इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग में 10वीं क्लास की छात्राओं को साइंस भी पढ़ा चुकी हैं। पाठ्यक्रम के साथ बालिकाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं कीॉे लिए उन्होंने प्रेरित किया। उनकी नेक सोच का ज़माना कायल है। एक सम्मानित अधिकारी की पत्नी होने के बाद भी ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर शिक्षा की लौ जलाने वाली उत्तराखंड की इस बेटी को राज्य समीक्षा का सलाम। उम्मीद करते हैं कि ऊषा घिल्डियाल की ये अच्छी और सच्ची कहानी आपको बेहद पंसद आएगी।