उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालGarhwali speaking course in pauri garhwal

वाह! अब पौड़ी गढ़वाल के स्कूलों में पढ़ाई जाएगी गढ़वाली, पढ़िए अच्छी खबर

पौड़ी में प्रशासन ने गढ़वाली बोली को बचाने की कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही गढ़वाली बोली को पाठ्यक्रम से जोड़ा जाएगा। गढ़वाली बोली का पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है।

उत्तराखंड: Garhwali speaking course in pauri garhwal
Image: Garhwali speaking course in pauri garhwal (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: गढ़वाली हमारी बोली होने के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक पहचान है। खाली होते गांवों के चलते पहाड़ की बोली-भाषा पर भी खतरा मंडरा रहा है। बहरहाल देर से ही सही शिक्षा विभाग ने गढ़वाली भाषा को बचाने की मुहिम शुरू कर दी है। अब उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में बच्चों को गढ़वाली सिखाई जाएगी। इससे नौनिहालों को अपनी बोली-भाषा को जानने-समझने का मौका मिलेगा। शिक्षा विभाग इस मुहिम की शुरुआत पौड़ी से करने जा रहा है। जिला प्रशासन की पहल पर गढ़वाली भाषा को स्कूल के पाठ्यक्रम से जोड़ा जाएगा। प्रयास के पहले चरण में पौड़ी में कक्षा 1 से लेकर 5 तक के बच्चों को गढ़वाली भाषा पढ़ाई जाएगी। दूसरे चरण में कक्षा 5 से लेकर 8वीं तक के बच्चों को गढ़वाली सिखाई जाएगी। विभाग की तरफ से गढ़वाली भाषा का पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए 9 टीचर्स को चुना गया है। पहाड़ के ये टीचर्स जल्द ही गढ़वाली भाषा पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार कर इसे विभाग को सौंपेंगे।

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जिलाधिकारी की पहल पर गढ़वाली भाषा को पाठ्यक्रम से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। अच्छी बात ये है कि इस मुहिम की शुरुआत गढ़वाल का केंद्र माने जाने वाले पौड़ी से की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी हरेराम यादव ने बताया कि जिलाधिकारी पौड़ी के निर्देशों के बाद गढ़वाली बोली के संरक्षण के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में हालांकि लोग अब भी अपनी बोली-संस्कृति से जुड़े हुए हैं, लेकिन पलायन के चलते खाली हो रहे गांव-घरों के साथ गढ़वाली बोली का अस्तित्व भी खतरे में है। ऐसे में पौड़ी प्रशासन की ये पहल वाकई सराहनीय है। उम्मीद है इस पहल के सार्थक परिणाम जल्द ही सामने आएंगे, और पहाड़ के दूसरे जिलों में भी क्षेत्रीय बोलियों को बचाने की मुहिम शुरू की जाएगी।