उत्तराखंड innocents to spend childhood in Tehri jail

टिहरी जेल में पल रहे हैं दो मासूम...मां इस दुनिया में नहीं है, पिता जेल में है

टिहरी जेल ही अब 4 साल के आयुष और डेढ़ साल की आयशा की दुनिया बन गई है, ये दोनों मासूम जेल में क्यों है चलिए आपको बताते हैं...

टिहरी जेल: innocents to spend childhood in Tehri jail
Image: innocents to spend childhood in Tehri jail (Source: Social Media)

: वो दिन भगवान किसी की जिंदगी में ना लाए जब बच्चों को अपने माता-पिता के बिना रहना पड़े...4 साल का आयुष और डेढ़ साल की आयशा के सिर से मां का साया उठ चुका है और पिता के आसरे के लिए अब इन दोनों मासूमों को टिहरी जेल में रहना पड़ रहा है...वो भी बिना किसी गुनाह के। आयुष और आयशा के पिता और दूसरे परिजन जेल में बंद हैं उनकी परवरिश करने वाला कोई नहीं है, यही वजह है कि दोनों मासूमों को उनके पिता के पास जेल में रखा गया है, जिला कारागार टिहरी के कर्मचारी ही इन दोनों बच्चों की देखभाल करते हैं। परिजनों की मांग और टिहरी जिला न्यायालय के आदेश के बाद दोनों बच्चों को कारागार लाया गया है। चलिए अब आपको बताते हैं कि मामला है क्या।

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दरअसल बीती 23 मार्च को टिहरी के भिलंगना ब्लॉक के कुंडी गांव में 26 साल की रुचि की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। रुचि के पिता विजय लाल ने उसके पति, ससुर, सास, देवर और ननद के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके बाद पुलिस ने 30 अप्रैल को मृतका रुचि के पति समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अब बच्चों की मां तो पहले ही गुजर चुकी थी और पिता के साथ-साथ दादा-दादी भी जेल चले गए, ऐसे में उनकी परवरिश कौन करता। रुचि के पिता विजय लाल ने भी उसके ससुरालवालों के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज करा दिया, लेकिन बेटी के इन दोनों मासूम बच्चों की जिम्मेदारी उठाने से साफ इनकार कर दिया। 4 साल का आयुष और डेढ़ साल की आयशा अब बेआसरा हो चुकी थी। बाद में परिजनों ने टिहरी जिला कोर्ट से अपील कर कहा कि दोनों मासूमों को उनके पिता के पास रहने की अनुमति दी जाए। टिहरी जिला न्यायालय द्वारा मासूम बच्चों को उनके पिता राजेश लाल के पास टिहरी जेल में रखने की अनुमति दे दी गई। अब टिहरी जिला कारागार के अधिकारी और कर्मचारी दोनों बच्चों की देखरेख कर रहे हैं। फिलहाल बच्चे अपनी दादी संग महिला बैरक में रह रहे हैं। किस्मत भी क्या-क्या रंग दिखाती है, जिन बच्चों ने अभी दुनिया देखनी शुरू ही की थी उनकी सुबह और शाम अब जेल की चाहरदीवारी में बीतती है। गुनाहगार कौन है और कौन नहीं ये फैसला कोर्ट को करना है, लेकिन सजा ये दोनों मासूम भुगत रहे हैं। राहत वाली बात ये है कि बच्चों को जेल में अपने परिजनों का साथ मिल गया है। जेल प्रशासन भी बच्चों का बखूबी ध्यान रख रहा है। दोनों बच्चों को सेरेलैक, दूध और अन्य पोषक तत्व परामर्श के अनुसार दिया जा रहा है। बच्चे इस वक्त अपनी दादी के साथ रह रहे हैं।