उत्तराखंड kashi vishwnath mandir uttarkashi

देवभूमि के काशी विश्वनाथ...इनके दर्शनों के बिना अधूरी मानी जाती है गंगोत्री यात्रा

उत्तरकाशी को भगवान विश्वनाथ की नगरी कहा जाता है...कहते हैं कि भगवान विश्वनाथ के दर्शन के बिना गंगोत्री यात्रा अधूरी रहती है।

उत्तराखंड: kashi vishwnath mandir uttarkashi
Image: kashi vishwnath mandir uttarkashi (Source: Social Media)

: भगवान भोले की नगरी है काशी...कहते हैं यहां साक्षात शिव विराजते हैं, पर देवभूमि में भी एक काशी है जिसे हम उत्तरकाशी के रूप में जानते हैं...काशी विश्वनाथ का प्राचीन मंदिर उत्तरकाशी की विशेष पहचान है। इस नगर पर हमेशा से भोलेनाथ की कृपा रही है, यही वजह है कि उत्तरकाशी को विश्वनाथ नगरी कहा जाता है। चारधामों में से एक गंगोत्री धाम इसी क्षेत्र में पड़ता है और कहा जाता है कि अगर भगवान विश्वनाथ के दर्शन नहीं किए तो मां गंगा का आशीर्वाद नहीं मिलता...बिना विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के गंगोत्री यात्रा अर्थहीन है। यही वजह है कि इन दिनों उत्तरकाशी में भगवान विश्वनाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आ रहे हैं। हर दिन मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यहां प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के दाईं और शक्ति मंदिर है। इस मंदिर में 6 मीटर ऊंचा तथा 90 सेंटीमीटर परिधि वाला एक बड़ा त्रिशूल स्थापित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी दुर्गा (शक्ति) ने इसी त्रिशूल से दानवों को मारा था।

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उत्तरकाशी के विश्वनाथ मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। स्कंद पुराण में भी उत्तरकाशी का जिक्र मिलता है। स्कंद पुराण के केदारखंड में उत्तरकाशी के लिए बाड़ाहाट शब्द का इस्तेमाल किया गया है। केदारखंड में बाड़ाहाट में विश्वनाथ मंदिर का वर्णन मिलता है। पुराणों में इसे सौम्य काशी भी कहा गया है। कहते हैं कि राजा भगीरथ ने मां गंगा को धरती पर लाने के लिए जिस जगह तपस्या की थी, वो उत्तरकाशी ही है। काशी विश्वनाथ के मंदिर की स्थापना के पीछे भी कई कहानियां प्रचलित हैं। कहते हैं कि मंदिर की स्थापना परशुराम ने की थी, यही वजह है कि उत्तरकाशी में परशुराम का भी मंदिर है। सन् 1857 में इस मंदिर की मरम्मत टिहरी की महारानी कांति ने कराई थी, जो कि महाराजा सुदर्शन शाह की पत्नी थीं। उत्तरकाशी के विश्वनाथ मंदिर की महत्ता उतनी ही है, जितनी काशी के विश्वनाथ और रामेश्वरम मंदिर में पूजा-अर्चना करने की, यही वजह है कि पूरे साल यहां भगवान आशुतोष के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है। यहां सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी जाती है, वो जरूर पूरी होती है।