उत्तराखंड DILIVERY IN SITARGANJ CHC hospital toilet UTTARAKHAND

उत्तराखंड शर्मसार..मां ने अस्पताल के शौचालय में दिया बच्चे को जन्म

प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को परिजन अस्पताल लेकर आए थे, लेकिन इमरजेंसी वार्ड में ना तो डॉक्टर था और ना ही नर्स...ये है पहाड़ के अस्पतालों का हाल

उत्तराखंड: DILIVERY IN SITARGANJ CHC hospital toilet UTTARAKHAND
Image: DILIVERY IN SITARGANJ CHC hospital toilet UTTARAKHAND (Source: Social Media)

: सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है, लेकिन ये कोशिशें तब तक कामयाब नहीं होंगी जब तक स्वास्थ्यकर्मी अपनी जिम्मेदारी को लेकर गंभीर नहीं होंगे। मामला उधमसिंह नगर के सितारगंज का है, जहां प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को उसके परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए, लेकिन अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ना तो डॉक्टर था और ना ही दूसरे स्वास्थ्यकर्मी। इसी दौरान महिला शौच के लिए अस्पताल के शौचालय गई और वहीं उसने बच्चे को जन्म दे दिया। महिला के पति ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पीड़ित महिला वार्ड नंबर 12 की रहने वाली है। शुक्रवार को सुबह तड़के साढ़े चार बजे उसे प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने 108 सेवा को कॉल किया तो वहां से भी उन्हें टका सा जवाब मिला कि एंबुलेंस उपलब्ध नहीं है।

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खैर परिजन निजी वाहन से उसे अस्पताल ले गए। अस्पताल पहुंचे तो इमरजेंसी वार्ड में स्टाफ नदारद मिला। जिसके बाद गर्भवती महिला ने शौचालय में नवजात को जन्म दिया...जिस बच्चे के जन्म का इंतजार पूरा परिवार पलक-पावड़े बिछाकर कर रहा था, उसने अपनी नन्हीं आंखें खोली तो, लेकिन अस्पताल के टॉयलेट में...कोई भी बच्चा इस दुनिया में अपना ऐसा स्वागत कतई नहीं चाहेगा। पीड़ित के पति का कहना है कि अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं थे, इससे भी ज्यादा शर्मनाक ये है कि जब महिला का पति डॉक्टर को बुलाने उनके आवास पर गया तो डॉक्टर ने कहा कि उनकी ड्यूटी सुबह आठ बजे शुरू होती है। इसलिए वह आठ बजे ही मरीज को देखेंगी। आरोप तमाम हैं, लेकिन अस्पताल अधीक्षक ने इन सभी आरोपों को गलत बताया है।

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इसी अस्पताल से जुड़ा एक और मामला भी सामने आया है, जहां अस्पताल ने गर्भवती महिला को बिना डिलीवरी के लौटा दिया। महिला शक्तिफार्म की रहने वाली है। प्रसव पीड़ा होने पर पति पंकज अपनी पत्नी पूनम को लेकर अस्पताल आए थे, इन्होंने भी 108 सेवा ना मिलने की शिकायत की है। जैसे ही ये लोग सितारगंज सीएचसी पहुंचे अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें हलद्वानी सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाने को कहा। पंकज ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर ने उनकी पत्नी को देखा तक नहीं, ऐसे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हालात कितने खराब हैं। बड़ा सवाल ये है कि ऐसे अस्पताल खुले ही क्यों हैं, जहां मरीजों को, गर्भवती महिलाओं को इलाज ही नहीं मिल रहा। मरीज और उनके परिजन शिकायत करते-करते थक जाते हैं, लेकिन दोषी स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया जाता।