: हिमालयी अंचल में बसा उत्तराखंड केवल देवभूमि ही नहीं, वीर भूमि भी है। बात जब देश की हो तो यहां के रणबांकुरे अपनी जान देने से पीछे नहीं हटते। यहां हर क्षेत्र में आपको वीरता और शौर्य की कहानियां मिल जाएंगी, और हर घर में सेना का एक जवान। यहां के हर परिवार का सेना से खास रिश्ता रहा है। और 20 साल पहले हुए करगिल युद्ध को भला कौन भूल सकता है। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी, और जिन सैनिकों ने देश को बचाने के लिए अपनी कुर्बानी दी, उनमें से ज्यादातर उत्तराखंड से ताल्लुक रखते हैं। उत्तराखंड के रणबांकुरों ने पाकिस्तान को धूल चटाते हुए देश की सरहद से बाहर खदेड़ दिया था। 20 साल पहले साल 1999 में हुए करगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 रणबांकुरों ने अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए, देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी। उत्तराखंड के इन वीर सैनिकों ने देश के लिए जो किया, उसका कर्ज हम देशवासी कभी चुका नहीं पाएंगे। करगिल युद्ध में गढ़वाल और कुमांऊ रेजिमेंट के जवानों ने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रदेश के 30 सैनिकों को उनके अदम्य साहस के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया। साल 1999 में हुए करगिल युद्ध में गढ़वाल रेजिमेंट ने अपने 54 सैनिक खो दिए थे। करगिल युद्ध के दौरान सेना की जिन रेजिमेंट्स ने मोर्चा संभाला उन सभी में उत्तराखंड के साहसी सैनिक शामिल थे। आगे जानिए किस जिले से कितने शहीद हुआ थे।
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उत्तराखंड के हर जिले के सपूतों ने करगिल युद्ध में अपना योगदान दिया। करगिल युद्ध के दौरान देहरादून के 14, लैंसडौन के 10, अल्मोड़ा के 3, चमोली के 7 और बागेश्वर के 3 जवानों ने शहादत दी। इसी तरह नैनीताल के 5, पौड़ी के 3, पिथौरागढ़ के 3 और रुद्रप्रयाग जिले के 3 जवान शहीद हुए। टिहरी के 11, ऊधमसिंहनगर के दो और उत्तरकाशी के 1 जवान करगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए। युद्ध के दौरान गढ़वाल राइफल ने अपने 54 जांबाज खोए, जबकि कुमाऊं रेजिमेंट के 12 जवानों ने अपनी शहादत दी। करगिल युद्ध के दौरान अदम्य साहस का परिचय देने वाले प्रदेश के 30 सैनिकों को वीरता पदक से नवाजा गया। मेजर विवेक गुप्ता और मेजर राजेश सिंह भंडारी को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। जबकि नायक ब्रजमोहन सिंह, नायक कश्मीर सिंह, ग्रुप कैप्टन एके सिन्हा, ऑनरेरी कैप्टन खुशीमन गुरुंग, राइफलमैन कुलदीप सिंह को वीर चक्र प्रदान किया गया। इसके साथ ही लेफ्टिनेंट गौतम गुरुंग, सिपाही चंदन सिंह, लांसनायक देवेंद्र प्रसाद, नायक शिव सिंह, नायक जगत सिंह, राइफलमैन ढब्बल सिंह, लांसनायक सुरमन सिंह, ऑनरेरी कैप्टन चंद्र सिंह और ऑनरेरी कैप्टन ए हेनी माओ को सेना मेडल से नवाजा गया। साल 1999 में हुए करगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपने 524 सैनिकों को खो दिया था, 1363 सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के लगभग चार हजार जवान मारे गए थे।