उत्तराखंड बागेश्वरgic loharchaura bageshwar uttarakhand

देवभूमि के इस सरकारी स्कूल के शिक्षकों को सलाम, हर शिक्षक ने गोद लिया एक गरीब बच्चा

पहाड़ के हर स्कूल के टीचर अगर गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए सजग हो जाएं तो सरकारी स्कूल वीरान नहीं होंगे...

उत्तराखंड न्यूज: gic loharchaura bageshwar uttarakhand
Image: gic loharchaura bageshwar uttarakhand (Source: Social Media)

बागेश्वर: मतलबपरस्ती की इस दुनिया में कोई किसी के बारे में नहीं सोचता, ये लाइन आपने भी सुनी होगी, पर इसी दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कि तमाम बहानों को दरकिनार कर गरीब बच्चों की जिंदगी बेहतर बनाने में जुटे हैं। वास्तव में ऐसे ही लोग सच्चे हीरो हैं, क्योंकि इन्हीं लोगों की वजह से हमारी दुनिया थोड़ी और खूबसूरत बन जाती है। बागेश्वर के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक भी गरीब छात्रों के जीवन में शिक्षा का उजियारा फैलाने में जुटे हैं। ये शिक्षक गरीब छात्रों के लिए जो कर रहे है, वो सुनकर आप भी इनके मुरीद हो जाएंगे। बागेश्वर के लोहारचौरा में एक सरकारी इंटर कॉलेज है जो कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. एलडी कांडपाल के नाम से संचालित होता है। इस स्कूल के हर शिक्षक ने एक-एक गरीब छात्र को गोद लिया है। गोद लिए बच्चों की शिक्षा का पूरा खर्च ये शिक्षक खुद उठाते हैं। जिन 10 छात्रों को गोद लिया गया है, वो या तो अनाथ हैं, या फिर बेहद गरीब परिवारों से आते हैं।

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लोहारचौरा का सरकारी स्कूल गरुड़ विकासखंड से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां के प्रभारी प्रिंसिपल और शिक्षकों ने 10 गरीब बच्चों को गोद लिया है। इस वक्त स्कूल में 156 छात्र पढ़ रहे हैं। सबसे पहले भूगोल के प्रवक्ता डॉ. हरेंद्र सिंह रावल ने एक बच्चे को गोद लिया। इस वक्त डॉ. हरेंद्र सिंह प्रभारी प्रिंसिपल हैं। उनकी देखादेखी दूसरे शिक्षक भी गरीब छात्रों की पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए आगे आए। प्रिंसिपल डॉ. हरेंद्र कहते हैं कि स्कूल में पढ़ने वाले कुछ गरीब बच्चों के परिवारवाले उनकी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पा रहे थे। वो बच्चों की पढ़ाई छुड़ाना चाहते थे। ऐसे वक्त में हमने उन्हें गोद लेने की ठानी। आज कुल 10 बच्चों की पढ़ाई का खर्चा स्कूल के शिक्षक उठा रहे हैं। यही नहीं बच्चों को करियर काउंसलिंग भी दी जाती है। शिक्षकों ने स्कूल में प्रोजेक्टर भी लगवाया है, ताकि बच्चे आसानी से विषय को समझ सकें। लोहारचौरा के शिक्षकों की ये पहल काबिले तारीफ है। पहाड़ का हर शिक्षक अगर ऐसा सोचने लगे, तो फिर पहाड़ के सरकारी स्कूल कभी वीरान नहीं होंगे। बच्चों को गरीबी की वजह से स्कूल नहीं छोड़ना पड़ेगा। राज्य समीक्षा की तरफ से इन सच्चे हीरोज को सलाम...