उत्तराखंड Devidhura Temple Bagwal Uttarakhand

रक्षाबंधन पर देवभूमि में होगा ‘बग्वाल’ युद्ध, 1 लाख से ज्यादा लोग बनेंगे ऐतिहासिक पल के गवाह

रक्षाबंधन का त्योहार जितना पुराना है, उतनी ही पुरानी है देवीधूरा में पत्थर युद्ध की परंपरा, इस बार भी ये अनोखी परंपरा निभाई जाएगी....लेकिन फलों और फूलों के साथ..देखिए वीडियो

उत्तराखंड न्यूज: Devidhura Temple Bagwal Uttarakhand
Image: Devidhura Temple Bagwal Uttarakhand (Source: Social Media)

: उत्तराखंड सांस्कृतिक विविधता वाला प्रदेश है। यहां संस्कृति में जितनी भिन्नताएं हैं, उतनी ही अद्भुत है यहां की मान्यताएं और परंपराएं। ऐसी ही एक परंपरा रक्षाबंधन के मौके पर कुमाऊं क्षेत्र के देवीधूरा में निभाई जाती है। रक्षाबंधन के दिन देवीधूरा में पत्थर युद्ध खेला जाता रहा है लेकिन वक्त के साथ साथ इस युद्ध का तरीका बदल गया। अब यहां पत्थरों की जगह फलों और फूलों से युद्ध होता है। इस युद्ध को देखने के लिए देश-विदेश से सैलानियों की भीड़ देवीधूरा में जुटती है। बग्वाल युद्ध का नजारा देखने के लिए देश विदेश से लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस कौतूहल को देखने के लिए एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए काफी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवानों की तैनाती कर दी गई है। आइए अब इस इतिहास के बारे में भी जान लीजिए। आगे पढ़िए। वीडियो भी देखिए

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इस उत्सव को बग्वाल कहते हैं। बग्वाल में आस-पास के सभी रणबांकुरे जुटते हैं। कभी इन रणबांकुरों के पास हथियार नहीं, हथियार के तौर पर पत्थर होते थे। एक-दूसरे पर पत्थर फेंके जाते थे, लोग घायल भी होते हैं। चंपावत के देवीधूरा में होने वाला ये उत्सव असाड़ी कौथिक के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन के दिन खोलीखांड में बग्वाल युद्ध होगा, जिसमें सात थोक और चार खाम के लोग हिस्सा लेंगे। श्रद्धालु क्षेत्र की आराध्य देवी बाराही को प्रसन्न करने के लिए इस युद्ध में अपना खून बहाते हैं। हर साल खोलीखांड में पत्थरों का ये युद्ध होता है। बग्वाल में लमगड़िया और बालिग खाम एक तरफ होंगे, जबकि दूसरे छोर पर गहड़वाल और चमियाल खाम के योद्धा डटेंगे। पुजारी का इशारा मिलते ही फलों की बौछार शुरू हो जाएगी। फलों की बारिश से बचने के लिए योद्धा बांस से बनी ढाल का इस्तेमाल करते हैं। मां बाराही की पूजा और शोभायात्रा के आयोजन के साथ ही ये उत्सव संपन्न हो जाएगा। इस खेल में पत्थरों की जगह फूलों और फलों का इस्तेमाल करने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया जा रहा है। साल 2013 में नैनीताल हाईकोर्ट ने खेल में पत्थरों का इस्तेमाल ना करने के आदेश भी दिए थे।

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