उत्तराखंड उत्तरकाशीFarmers purchased 4.5 lakh cases of apples from himachal pradesh

शर्मनाक! पहाड़ में मजबूर है किसान..कुंभकर्णी नींद सो रहा है उत्तराखंड का उद्यान विभाग?

उद्यान विभाग उत्तराखंड में होने वाले सेब की ब्रांडिंग करना तो दूर, किसानों को पेटियां तक नहीं दे सका, पहाड़ का सेब हिमाचल के नाम से बिक रहा है..

Uttarkashi: Farmers purchased 4.5 lakh cases of apples from himachal pradesh
Image: Farmers purchased 4.5 lakh cases of apples from himachal pradesh (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: उत्तराखंड का उत्तरकाशी जिला, ये जिला अपनी नैसर्गिक खूबसूरती के साथ-साथ सेब की खेती के लिए भी मशहूर है। उत्तरकाशी के आराकोट इलाके में काश्तकार जी-तोड़ मेहनत कर सेब की खेती कर रहे हैं, पर अफसोस की उत्तराखंड में पैदा होने वाला सेब देश-विदेश की मंडियों में हिमाचल के नाम से बिक रहा है। उद्यान विभाग काश्तकारों को सेब की पैकिंग के लिए दूसरी सुविधाएं तो दूर पेटियां तक मुहैया नहीं करा पा रहा। विभाग ने जो पेटियां भेजी भी थीं, वो भी घटिया क्वालिटी की थी। यही वजह है कि काश्तकारों को हिमाचल प्रदेश से सेब की पेटियां खरीदनी पड़ीं। यानि अपने पहाड़ में पैदा होने वाले सेब की ब्रांडिंग का क्रेडिट पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश ले रहा है, और इसका जिम्मेदार है उद्यान विभाग, जो वादे तो बहुत करता है, पर निभाता नहीं। इस बार आराकोट के सेब काश्तकारों को सेब की पैकिंग के लिए साढ़े चार लाख पेटियां हिमाचल से खरीदनी पड़ीं। आराकोट वही क्षेत्र है, जो इस साल आपदा में तबाह हो गया था।

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यहां के काश्तकार बोले कि हमें सेब को मंडी तक पहुंचाने के लिए 5 लाख पेटियां चाहिए थीं, पर उद्यान विभाग ने भेजी सिर्फ 48 हजार। जिस वजह से आराकोट के काश्तकारों को साढ़े चार लाख पेटियां हिमाचल की मंडियों से खरीदनी पड़ी। इनमें सेब पैक कर सहारनपुर, दिल्ली और देहरादून समेत दूसरे शहरों में भेजा जा रहा है। किसानों ने कहा कि पहले तो उद्यान विभाग को आपदाग्रस्त इलाके में निशुल्क पेटियां भेजनी चाहिए थीं, ये भी नहीं कर सके तो कम से कम अच्छी क्वालिटी की पेटियां सही समय पर तो भिजवाते, पर अफसरों से ये भी ना हो सका। आपको बता दें कि उत्तरकाशी में हर साल 20 हजार मीट्रिक टन से अधिक सेब उत्पादन होता है। अकेले आराकोट में 12 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन किया जाता है, पर किसानों की मेहनत का फायदा उत्तराखंड को नहीं मिल रहा। उद्यान विभाग प्रदेश में पैदा होने वाले सेब की ब्रांडिग तक नहीं कर पा रहा, ये बेहद निराशाजनक है।