देहरादून: देहरादून की सड़कों पर सुबह आठ बजे से रात 8 बजे तक ई-रिक्शा नजर नहीं आएंगे। 12 घंटे के लिए राजधानी की सड़कों पर ई-रिक्शा की एंट्री बैन कर दी गई है। पुलिस और परिवहन विभाग ने दून को ट्रैफिक के बढ़ते बोझ से निजात दिलाने के लिए ई-रिक्शा पर दिन में 12 घंटे के लिए बैन लगाने का फैसला लिया है। इस फैसले को परिवहन विभाग दून के हक में बता रहा है, लेकिन इसका विरोध करने वाले भी कम नहीं हैं। परिवहन विभाग के इस फैसले से दून के 6 हजार ई-रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ गई है। देहरादून में इस वक्त 35 हजार ई रिक्शा रजिस्टर्ड हैं, जबकि ढाई हजार ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं। ई-रिक्शा संचालकों ने कहा कि मोदी सरकार पूरे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की बात कर रही है। उत्तराखंड सरकार ने खुद ई-रिक्शा संचालकों को ई-रिक्शा बांटे थे, अब उनके साथ नाइंसाफी की जा रही है।
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कुछ दिन पहले केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी यही बात दोहराई थी, उन्होंने सभी राज्यों की सरकारों से इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का अनुरोध किया था, ताकि पर्यावरण की रक्षा हो, पर उत्तराखंड सरकार इसके एकदम उलट काम कर रही है। सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक दून के मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा का संचालन बंद कर दिया गया है। ये सही नहीं है। सड़कों पर ई-रिक्शा नहीं चलेंगे तो ई-रिक्शा चलाने वाले हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। अगर बात सिर्फ ट्रैफिक जाम की है, तो कोई बीच का रास्ता निकाला जाना चाहिए, ई-रिक्शा की एंट्री बैन करना सही नहीं है। वहीं एसपी ट्रैफिक प्रकाशचंद्र आर्य ने कहा कि ई-रिक्शा की वजह से शहर में लंबा जाम लग रहा था। ट्रैफिक के बोझ से राजधानी हांफ रही है, जिस वजह से ई-रिक्शा की एंट्री बैन करना का फैसला लेना पड़ा।