उत्तराखंड चमोलीChamoli DM shared mid day meal with students sitting on floor

पहाड़ में एक DM ऐसी भी, आंगनबाड़ी में बच्चों के साथ जमीन पर बैठकर खाया मिड-डे मील

सरकारी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों के औचक निरीक्षण के लिए पहुंची डीएम स्वाति एस भदौरिया ने बच्चों संग खाना खाया...

Swati s bhadauriya: Chamoli DM shared mid day meal with students sitting on floor
Image: Chamoli DM shared mid day meal with students sitting on floor (Source: Social Media)

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले की डीएम स्वाति एस भदौरिया अपने अलग अंदाज के लिए जानी जाती हैं। उन्हें चमोली की लेडी सिंघम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। आम लोगों के दिल में कैसे जगह बनानी है, ये बात स्वाति एस भदौरिया बखूबी जानती हैं। बुधवार को चमोली की डीएम ने सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। स्कूलों में बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं, व्यवस्था कैसी है ये जानने के साथ-साथ बच्चों को मिड डे मील में कैसा खाना मिल रहा है, डीएम ने ये भी जाना। यही नहीं मिड डे मील के खाने को चेक करने के लिए डीएम स्वाति भदौरिया खुद बच्चों के साथ खाना खाने बैठ गईं। डीएम को बच्चों को साथ खाना खाते देख हर कोई हैरान था। सोशल मीडिया पर उनकी ये तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं, लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं। डीएम स्वाति भदौरिया राजकीय प्राथमिक विद्यालय और मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र देवर खडोरा के औचक निरीक्षण के लिए पहुंचीं थीं। उन्होंने आंनगबाड़ी केंद्रों का जायजा लिया। साथ ही बच्चों के साथ जमीन पर बैठ कर मिड डे मील का भोजन भी खाया। दरअसल डीएम भोजन की गुणवत्ता जांचना चाहती थीं, और ऐसा तभी होता जब वो मिड डे मील का खाना खुद चखतीं।

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खाना खाने के बाद डीएम ने भोजनमाता से कहा कि वो बच्चों के खाने में कम मिर्च रखें। खाना सुरक्षित और पौष्टिक होना चाहिए। डीएम ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने की बात कही। उन्होंने सुझाव दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कागज की आकृतियों के जरिए बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा दे सकते हैं। बच्चों को हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी का भी ज्ञान दें। डीएम ने बीईओ को स्कूल में वाटर फिल्टर और फर्श पर टाइल्स लगाने के भी निर्देश दिए। पहाड़ के स्कूलों की हालत सुधारनी है तो हर जिले के अफसरों को मिलकर प्रयास करने होंगे। जब तक अफसर व्यक्तिगत रूप से स्कूलों का जायजा नहीं लेंगे, सुधार की कोशिशें नहीं करेंगे तब तक बदहाल स्कूलों की हालत नहीं सुधरेगी।