उत्तराखंड Foreigners are taking training of cooking pahadi dishes

गजब है...उत्तराखंड में आकर कोदे की रोटी और कंडाली का साग बनाना सीख रहे हैं विदेशी लोग

उत्तराखंड घूमने आए विदेशी पर्यटकों को पहाड़ी व्यंजन इस कदर भा गए हैं कि अब वो इन्हें बनाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं...

Cookery in chamoli: Foreigners are taking training of cooking pahadi dishes
Image: Foreigners are taking training of cooking pahadi dishes (Source: Social Media)

: पहाड़ी खाने का कोई जवाब नहीं। बात चाहे स्वाद की हो या फिर सेहत की, पहाड़ी व्यंजन हर मोर्चे पर खरे हैं। उत्तराखंड घूमने आने वाले विदेशियों को भी पहाड़ी खाना खूब भा रहा है, तभी तो विदेशी पर्यटक यहां के पारंपरिक व्यंजन ना सिर्फ चख रहे हैं, बल्कि उन्हें बनाने के लिए कुकिंग क्लासेज भी ले रहे हैं। इन दिनों 17 विदेशी पर्यटकों का दल चमोली घूमने आया है, ये ग्रुप गोपेश्वर के पास स्थित पीच एंड पीयर होम स्टे में उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन बनाना भी सीख रहा है। चमोली के पोखरी विकासखंड में एक गांव है गुनियाला, जहां पूनम रावत रहती हैं। पूनम के पास जर्मनी की भी नागरिकता है, वो समय-समय पर विदेशी पर्यटकों को उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों के ट्रिप पर लाती हैं। उन्हें यहां की दिनचर्या, खेतबाड़ी और रहन-सहन की जानकारी देती हैं। दरअसल पूनम होम स्टे के जरिए क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने में जुटी हैं। घिंघराण मोटर मार्ग पर स्थित रौली में पूनम का होम स्टे है, इनके होम स्टे को इंडिया के टॉप फाइव होम स्टे में भी जगह मिल चुकी है।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - जय देवभूमि: देश का पहला आध्यात्मिक इको जोन बनेगा जागेश्वर धाम, जानिए प्रोजेक्ट की खास बातें
इन दिनों पूनम के होम स्टे में विदेशी पर्यटको का दल ठहरा हुआ है, दल में 10 महिलाएं और 7 पुरुष हैं। अब तक ये लोग बदरीनाथ, माणा गांव, वसुधारा और दूसरे कई पर्यटक स्थलों की सैर कर चुके हैं। उत्तराखंड घूमने आए इन पर्यटकों को पहाड़ी चैंसू, फाणू, काफली और झंगोरे की खीर का स्वाद ऐसा भाया कि अब ये इन व्यंजनों को बनाना सीख रहे हैं। होम स्टे में विदेशी पर्यटकों को मंडुवे के मोमो और रोटी भी बनाना सिखाया जा रहा है। जैविक उत्पादों से बनने वाले ये व्यंजन पर्यटकों को कुछ इस कदर भा गए हैं कि अब वो इन्हें पकाना सीख रहे हैं, ताकि अपने वतन लौटकर अपने परिजनों को भी उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन पकाकर खिला सकें। होम स्टे के जरिए विदेशी पर्यटक उत्तराखंड की संस्कृति को करीब से जान-समझ रहे हैं, साथ ही यहां के पारंपरिक व्यंजन बनाना भी सीख रहे हैं। उत्तराखंड के गांवों के लिए ये अच्छा संकेत है।