उत्तराखंड Bipin badoni changed their life by mushroom farming

टिहरी गढ़वाल के बिपिन बडोनी..MNC छोड़कर गांव लौटे, मशरूम से हो रही है शानदार कमाई

बिपिन हैदराबाद में जॉब करते थे, लेकिन जब पहाड़ ने उन्हें वापस बुलाया तो लौट आए...जानिए इनकी कहानी

mushroom farming: Bipin badoni changed their life by mushroom farming
Image: Bipin badoni changed their life by mushroom farming (Source: Social Media)

: पलायन उत्तराखंड के लिए अभिशाप है। हम पलायन पर चिंता तो जताते हैं, लेकिन शहर की जिंदगी छोड़कर गांव लौटने का साहस नहीं जुटा पाते। ऐसे वक्त में टिहरी के बिपिन बडोनी जैसे लोग उम्मीद जगाते हैं। बिपिन ने मशरूम की खेती से ना सिर्फ अपनी, बल्कि पहाड़ की कई महिलाओं की जिंदगी बदल दी। जो राह बिपिन ने खुद के लिए चुनी, आज उस पर चलकर क्षेत्र के कई युवा रोजगार के साधन जुटा रहे हैं। उत्तराखंड सरकार इसक वक्त रिवर्स पलायन को लेकर काम कर रही है और ऐसे युवा सरकार की उम्मीदों को पंख लगा रहे हैं। टिहरी गढ़वाल के रहने वाले बिपिन दिल्ली में एमएनसी में जॉब करते थे। हैदराबाद में भी काम किया, जॉब से पैसे तो मिल रहे थे, पर संतुष्टि नहीं। पहाड़ उन्हें वापस बुलाता था। ज्यादातर लोग पहाड़ की इस आवाज को अनसुना कर देते हैं, पर बिपिन ने ऐसा नहीं किया। वापस टिहरी लौट आए। भिलंगना जैसे दुर्गम क्षेत्र में मशरूम की खेती करने लगे। बिपिन ने पहले खुद मशरूम कल्चर की ट्रेनिंग ली और बाद में पूरे जिले की महिलाओं संग अपने ज्ञान को बांटा। उन्हें मशरूम उत्पादन की बारीकियां सिखाईं। बिपिन ने घनसाली में मशरूम स्पॉनिंग लैब स्थापित की है। महिलाओं को ट्रेनिंग देने के लिए उन्होंने हिमवंत बायोटेक की स्थापना की है। जिसके जरिए वो क्षेत्र की सौ से ज्यादा महिलाओं को मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग दे चुके हैं। यही नहीं हिमवंत बायोटेक के माध्यम से वो हर साल 10 टन जैविक मशरूम का उत्पादन करते हैं, जिसकी डिमांड उत्तराखंड के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी है। बिपिन चाहते तो शहर की आरामतलब जिंदगी जी सकते थे, वहां रहकर रुपये कमा सकते थे, पर उन्होंने इसकी बजाय अपने गांव लौटने का फैसला किया। गांव में रहकर ही अपनी और गांव के परिवारों की तकदीर बदलने का फैसला किया। बिपिन जैसे लोग रिवर्स पलायन की मिसाल हैं, जिन्होंने साबित कर दिया कि मन में इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी असंभव नहीं।
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