देहरादून: राजनीति...उस आइने की तरह है जिसमें देर तक कोई चेहरा नहीं रहता। वक्त बदलता है, चेहरे बदलते हैं, सत्ता बदलती है और सब कुछ बदल जाता है। उत्तराखंड ने भी उसी राजनीतिक आइने में खुद को कई बार देखा है। ये तस्वीर भी उसी आइने की किताब का एक पन्ना समझिए। उत्तराखंड के दो पूर्व सीएम के बीच बातचीत और उन्हें किनारे बैठकर देखता एक चेहरा। सीधे शब्दों में कहें तो इस तस्वीर में हरीश रावत हैं, विजय बहुगुणा हैं और किशोर उपाध्याय हैं। एक मीटिंग हुई है और उससे चर्चाओं का दौर चलना स्वाभाविक है। पत्रकारिता के अनुभव चश्मा आंखों पर चढ़ाकर देखें तो हो सकता है कि ये आने वाले चुनाव का ट्रेलर हो? आज के दौर की राजनीति कहती है कि उत्तराखंड कांग्रेस में हरदा बूढ़े घोड़े हो गए हैं और सत्ता की स्प्रिंट लगाने में फिलहाल तो अक्षम हैं। या यूं कहें कि हरदा को साफ पता है कि इस बार दांव नए और युवा चेहरे पर लगाना ही ठीक है। उधर किसी जमाने में कांग्रेस के ही बागी रहे विजय बहुगुणा...जिन्हें बीजेपी में जाकर कुछ हासिल नहीं हुआ। शायद कुछ पाने की चाहत उन्हें इस तस्वीर में दूसरा चेहरा बना गई। तीसरा चेहरा और सबसे अहम रोल...किशोर उपाध्याय। हरीश रावत को 10 जनपथ तक पहुंचाने वाले किशोर। आलाकमान के सबसे करीबियों में गिने जाने वाले किशोर। उत्तराखंड कांग्रेस के सबसे ईमानदार चेहरों में शुमार किए जाने वाले किशोर। तो क्या कांग्रेस में किशोर को लेकर बात बन गई है? हमने कहा न...तस्वीर बहुत कुछ कहती है। क्या किशोर ही आनेवाले चुनाव में कांग्रेस का सर्वमान्य चेहरा हैं ? प्रीतम की जौनसार में बेहतर पकड़ है लेकिन गढ़वाल और कुमाऊं में उतनी नहीं, जितनी किशोर की है। इंदिरा हृदयेश भी इस रेस के लिए बूढ़ी साबित हो रही हैं, तो क्या किशोर ही कांग्रेस की नैय्या पार लगाएंगे ? आगे आगे देखिए क्या होता है। फिलहाल ये एक्सक्लूसिव तस्वीर आपके पेश-ए-नज़र है।