नैनीताल: जमरानी बांध परियोजना, भाबर की लाइफ लाइन...जिस तरह गढ़वाल के लोग ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, उसी तरह भाबर के लोग भी सालों से जमरानी बांध परियोजना के आगे बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। उत्तराखंड में प्रस्तावित जमरानी बांध परियोजना पिछले 40 साल से अटकी हुई थी, पर अब इस बांध परियोजना का काम जल्द शुरू होने वाला है। बीते अक्टूबर में बांध परियोजना को लेकर पहली खुशखबरी आई थी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया था कि बांध परियोजना को केंद्र से पर्यावरण मंजूरी मिल गई है। अब एक और अच्छी खबर आई है। खबर ये है कि प्रदेश सरकार की 2584 करोड़ वाली परियोजना का 80 फीसदी खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी। बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इसकी मंजूरी दे दी। इसके अलावा जो भी बाहरी खर्चा होगा, उसे एशियन डेवलपमेंट बैंक उठाएगा। इस तरह भाबर के लोगों के 40 सालों का इंतजार खत्म होने वाला है।
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जमरानी बांध निर्माण शुरू होना तय हो गया है। बुधवार को सचिव सिंचाई भूपिंदर कौर औलख और सिंचाई विभाग के अधिकारियों की वित्त मंत्रालय में अहम बैठक हुई। जिसमें एडीबी के जरिए परियोजना का खर्च उठाने पर सहमति बनी। इस वित्तीय वर्ष में यह प्रदेश के लिए स्वीकृत होने वाली पहली बाह्य सहायता परियोजना होगी। परियोजना पर खर्च होने वाला 80 फीसदी बजट केंद्र सरकार देगी, जबकि 20 प्रतिशत खर्चा राज्य सरकार उठाएगी। बांध परियोजना से उत्तराखंड को क्या-क्या फायदे होंगे, ये भी जान लें। ये परियोजना उत्तराखंड के 5,000 हेक्टेयर से अधिक के भूभाग पर सिंचाई की मांग को पूरा करेगी। परियोजना से ऊधमसिंहनगर और नैनीताल जैसे नगर जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। इसके अलावा 14 मेगावाट की बिजली भी पैदा होगी। आपको बता दें कि ये परियोजना साल 1970 से प्रस्तावित है, पर बजट की कमी की वजह से परियोजना का काम आगे नहीं बढ़ पा रहा था, दूसरी दिक्कतें भी थीं। केंद्र सरकार ने खर्चा उठाने की मंजूरी दे दी है, जिससे परियोजना के बजट संबंधी सबसे बड़ी समस्या दूर हो गई है। अब परियोजना का काम तेजी से आगे बढ़ेगा।