उत्तराखंड नैनीतालInspirational story of haldwani women

उत्तराखंड की इन बेटियों ने तोड़ी परंपरा की बेड़ियां, ई-रिक्शा चलाकर चला रही हैं अपने घर का खर्च

हल्द्वानी में ई-रिक्शा चलाने वाली महिलाएं कभी मजदूरी करती थीं। घर चलाना मुश्किल हुआ तो इन महिलाओं ने सामाजिक रूढ़ियों को ठेंगा दिखाया, और ई-रिक्शा का हैंडल पकड़ सफलता की राह पर निकल पड़ीं...

e-rickshaws: Inspirational story of haldwani women
Image: Inspirational story of haldwani women (Source: Social Media)

नैनीताल: हल्द्वानी में ई-रिक्शा चलाने वाली महिलाएं सशक्तिकरण की नई इबारत लिख रही हैं। इनमें से कुछ महिलाएं पहले रेहड़ी लगाती थीं, कुछ मजदूरी करती थी, लेकिन परिवार की परवरिश और बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए इन्होंने कुछ अलग करने का फैसला किया। इन महिलाओं ने ई-रिक्शा को रोजगार का जरिया बनाया और आज इन्हें देखकर दूसरी महिलाओं को भी कभी हार ना मानने की सीख मिल रही है। आईए आपको हल्द्वानी की इन कर्मठ महिलाओं से मिलाते हैं, जो कि रूढ़िवादी सोच को तोड़कर आगे बढ़ रही हैं। हल्द्वानी में रहने वाली गुड्डी पासवान, मंजू मिश्रा, बीना, पूजा और गुलनार ई-रिक्शा चलाती हैं। इन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाई उत्तराखंड की पहली महिला ई-रिक्शा चालक रानी मैसी ने। गुड्डी पासवान बताती हैं कि एक वक्त उनके पास परिवार चलाने के लिए कोई साधन नहीं था। वो सब्जी की रेहड़ी लगाती थीं। इसी बीच किसी ने उन्हें ई-रिक्शा चलाने की सलाह दी। रानी मैसी के सहयोग से गुड्डी ने ई-रिक्शा खरीद लिया और आज वो आत्मनिर्भर हैं। पूजा और गुलनार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। पूजा छड़ायल इलाके में रहती हैं। गुलनार का घर इंदिरानगर मे है।

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पूजा पहले मजदूरी करती थीं, जबकि गुलनार जंगल से लकड़ियां बीनती थीं। इन्हें भी रानी मैसी ने ई-रिक्शा चलाने के लिए प्रेरित किया। आज ये दोनों ई-रिक्शा चलाकर परिवार चला रही हैं। बरेली रोड पर रहने वाली मंजू मिश्रा भी ई-रिक्शा चलाती हैं। मंजू बताती हैं कि शादी के कुछ महीने बाद तक उन्होंने बतौर शिक्षामित्र काम किया। फिर उनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हो गया, लेकिन परिवार की परेशानियों के चलते वो नौकरी ज्वाइन नहीं कर सकीं। मंजू की चार बेटियां हैं। जब बड़े परिवार की जरूरतें पूरी करना मुश्किल लगने लगा, तो उन्होंने ई-रिक्शा चलाने की ठानी। अब मंजू ई-रिक्शा चलाकर अपनी चारों बेटियों को पढ़ा-लिखाकर लायक बना रही हैं। हल्द्वानी की ये महिलाएं सामाजिक बंधनों, रूढ़ियों को तोड़कर अपनी सफलता की कहानी खुद लिख रही हैं, महिला सशक्तिकरण को असली मायने देने वाली इन महिलाओं को राज्य समीक्षा का सलाम...