उत्तराखंड अल्मोड़ाChaubatia apple orchard almora

उत्तराखंड में एशिया का सबसे बड़ा सेब बागान, कभी यहां होती थी फिल्मों की शूटिंग

Chaubatia apple orchard almora अल्मोड़ा के चौबटिया में एशिया का सबसे बड़ा सेब बागान है, कभी ये बागान पूरी दुनिया में मशहूर हुआ करता था, लेकिन आज यह अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए जूझ रहा है...

Chaubatia apple orchard almora: Chaubatia apple orchard almora
Image: Chaubatia apple orchard almora (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: सेब के बागानों का जिक्र होते ही हमारी आंखों के सामने कश्मीर और हिमाचल की तस्वीर उभर आती है, पर क्या आप जानते हैं एशिया का सबसे बड़ा सेब बागान कहां है? चलिए इस सवाल का जवाब हम ही दे देते हैं। एशिया का सबसे बड़ा सेब बगान चौबटिया क्षेत्र में है, Chaubatia apple orchard almora अल्मोड़ा जिले में स्थित है। ये सेब बगान करीब 235 हेक्टेयर क्षेत्रफल मे फैला है। एक वक्त था जब इस सेब बागान के चर्चे पूरी दुनिया में होते थे। यहां फिल्मों की शूटिंग होती थी, लोग इस सेब बागान की खूबसूरती को निहारने के लिए आते थे, लेकिन वक्त के थपेड़ों और प्रशासन की अनदेखी ने बाग की रौनक छीन ली। देखभाल के अभाव में ये बागान सिमटता चला गया। विभागीय अधिकारी भी इसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहे, जिस वजह से बागान का उत्पादन लगातार कम होता जा रहा है। आज ये बागान अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझ रहा है। कभी यह बागान 235 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला था, जहां सीजन में 500 कुंतल से ज्यादा सेब की पैदावार होती थी।

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आज सेब का उत्पादन क्षेत्र घटकर 106.91 हेक्टेयर रह गया है। यहां 17 हजार फल वृक्ष हैं, लेकिन उत्पादन सिर्फ 20 से 30 कुंतल तक सिमट कर रह गया है। Chaubatia apple orchard almora साल 1955-56 मे अस्तित्व में आया। यहां हिमालयी रेड डिलिसियस एप्पल के पेड़ हुआ करते थे, पर बाद में यहां अमेरिकन सेबों की पौध लगा दी गई। इसके साथ ही बागान के बुरे दिन शुरू हो गए, फलों का उत्पादन घट गया। विधायक करन माहरा कहते हैं कि राज्य गठन के बाद चौबटिया गार्डन पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब यहां रिसर्च सेंटर बनाने की तैयारी चल रही है। सरकार अगर एप्पल गार्डन के उद्धार पर ध्यान दे तो ये आजीविका, पर्यटन और आर्थिकी का मजबूत साधन बन सकता है। स्थानीय लोग भी चौबटिया गार्डन को दोबारा स्थापित होते देखना चाहते हैं। लोग चौबटिया गार्डन को नए सिरे से विकसित करने की मांग कर रहे हैं, ताकि इसका वजूद बचाया जा सके।