टिहरी गढ़वाल: टिहरी झील (Tehri Lake) को इंटरनेशनल टूरिस्ट हब के तौर पर डेवलप करने के दावे हो रहे हैं, लेकिन ये दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। झील के आस-पास बुनियादी सुविधाओं को मजबूत किए जाने की जरूरत है। झील में नावों के लिए बना प्लेटफार्म पुराना हो जुका है, जेटी यानि नावों के लिए बने प्लेटफार्म के नट उखड़ गए हैं। पुराने हो चुके जेटी को जैसे-जैसे रस्सियों के सहारे बांधकर काम चलाया रहा है, लेकिन ये जुगाड़ कभी भी बड़ी अनहोनी का सबब बन सकता है। टिहरी झील (Tehri Lake) विशेष परिक्षेत्र प्राधिकरण के अधिकारी भी इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे। एक रिपोर्ट के मुताबिक जेटी की क्षमता 40 नावों की है, लेकिन यहां नावों की संख्या बढ़ते-बढ़ते 99 हो गई है। टिहरी झील में साल 2015 में बोटिंग शुरू हुई थी। बोटिंग हुई तो नावों के लिए जेटी प्लेटफार्म भी बना। प्लेटफार्म की क्षमता 40 नावों की रखी गई, पर समय के साथ-साथ नाव की संख्या बढ़ती गई, जो कि आज 99 तक पहुंच चुकी है। आगे पढ़िए
ये भी पढ़ें:
यह भी पढ़ें - प्रवासी उत्तराखंडियों में कोरोना वायरस का खौफ, एम्स ऋषिकेश में संदिग्ध की जांच
जेटी की क्षमता कम है, ये पुराना और जर्जर भी है, जेटी को आपस में जोड़ने वाले नट उखड़ चुके हैं, जिन्हें झील प्राधिकरण ने रस्सियों के सहारे बांध रखा है। यहां नाव खड़ी करने के लिए जगह भी नहीं बची। जेटी की मेंटेनेंस के लिए साल 2016 में मुंबई की कंपनी के कर्मचारी आए थे, तब से अब तक इसकी मेंटेनेंस नहीं हुई। यहां आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा खतरे में है, तो वहीं टिहरी झील (Tehri Lake) विशेष परिक्षेत्र प्राधिकरण के अधिकारी अपने अलग ही तर्क दे रहे हैं। उनका कहना है कि टिहरी झील बहुत बड़ी है, लिहाजा जेटी प्वाइंट पर कितनी भी नाव बांधी जा सकती है। अधिकारियों को जेटी की क्षमता के बारे में भी जानकारी नहीं है। कोटी कॉलोनी बोट यूनियन का कहना है कि झील के पास नए बोट प्वाइंट विकसित किए जाने चाहिए। ऐसा होने पर कोटी प्वाइंट पर पर्यटकों का दबाव कम होगा। झील के आस-पास के दूसरे क्षेत्रों में भी पर्यटन बढ़ेगा। विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि 80 वर्ग मीटर में 99 बोट खड़ी करना सही नहीं है, दबाव बढ़ने पर जेटी कभी भी पलट सकती है, जेटी को प्रॉपर मेंटेनेंस की जरूरत है।