उत्तराखंड देहरादूनEight years old girl commits suicide after dispute with brother

देहरादून में 8 साल की बच्ची ने की खुदकुशी, TV पर मनपसंद कार्टून न लगने से नाराज़ थी

8 साल की मासूम खुदकुशी कर सकती है, ये बात किसी के गले नहीं उतर रही थी। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही थी, जिसने ये साफ कर दिया कि बच्ची ने खुदकुशी ही की है, इसकी वजह भी पता चल गई है...

Dehradun crime: Eight years old girl commits suicide after dispute with brother
Image: Eight years old girl commits suicide after dispute with brother (Source: Social Media)

देहरादून: देहरादून में शुक्रवार को एक दुखद घटना हुई। 8 साल की बच्ची जीएमएस रोड स्थित घर में फांसी से लटकी हुई मिली। बच्ची की लाश को सबसे पहले पड़ोसी ने देखा था। जब तक परिवारवाले बच्ची को अस्पताल ले गए, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। मामला पुलिस के पास पहुंचने पर जांच शुरू हुई। इस बात पर यकीन कर पाना बहुत मुश्किल था कि 8 साल की मासूम ने खुद फांसी लगा ली। पुलिस ने हर एंगल से जांच की। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया। जिससे ये साफ हो गया कि बच्ची ने खुदकुशी ही की थी। इसकी वजह भी पता चल गई है। पुलिस ने बताया कि बच्ची का 10 साल का भाई टीवी पर मनपसंद कार्टून नहीं लगा रहा था। इससे आहत होकर उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया। बाद में बेड पर स्टूल लगाकर पंखे से चुन्नी का फंदा बनाया और फांसी लगा ली। परिजन बालिका को फंदे से नीचे उतारकर अस्पताल ले गए थे, लेकिन उसे मृत घोषित कर दिया गया। बच्ची की उम्र के मद्देनजर पुलिस फांसी की बात पर यकीन नहीं कर रही थी, लेकिन शनिवार को पोस्टमार्टम हुआ तो फांसी की बात की पुष्टि हो गई। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - अल्मोड़ा: DM के सामने बिलख पड़ी बेटे को खो चुकी मां, रो-रोकर मांगा इंसाफ
परिजनों ने बताया कि टीवी पर मनपसंद कार्टून नहीं लगाने पर वह भाई से नाराज हो गई थी। गुस्सा होकर वह अपने कमरे में चली गई और यह कदम उठा लिया। 8 साल की मासूम शहर के स्कूल में कक्षा 3 में पढ़ती थी। शनिवार को गमगीन माहौल में बच्ची को अंतिम विदाई दी गई। मासूमों का ऐसा आत्मघाती कदम उठाना वाकई चिंताजनक है, गुस्सा-जिद जैसी भावनाओं को कैसे हैंडल करना है, परिजनों को इस बारे में बच्चों को जरूर बताना चाहिए। बड़े अफसोस की बात है कि आज भी हमारे देश में पैरेंटिंग को कोई गंभीरता से नहीं लेता। लोग पैरेंटिंग की ना तो ट्रेनिंग लेते हैं और ना ही इस बारे में एक्सपर्ट्स की सलाह लेते हैं। इसे सबसे आसान काम समझा जाता है। जिसके चलते हम अपने व्यवहार में सिर्फ वही बातें शामिल करते हैं, जो हमने अपने माता-पिता को देखकर सिखी होती हैं। जबकि आज के दौर में इस विषय की गंभीरता को समझना बेहद जरूरी है, ताकि हम बच्चों के इमोशंस को अच्छी तरह समझ सकें, उन्हें बेहतर और सुरक्षित माहौल दे सकें।