उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालUttarakhand young boy killed in delhi riots

गढ़वाल के युवक की दिल्ली दंगों में मौत, नम आंखों से हुई विदाई..बंद रहे बाजार

पौड़ी के रहने वाले युवक की दिल्ली में हुए दंगों में मौत हो गई। दिलबर सिंह दिल्ली की एक बेकरी में काम करता था, वो परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर बनाने का सपना लेकर दिल्ली गया था, लेकिन दंगों ने उसके परिवार से सबकुछ छीन लिया...

DILBAR SINGH PAURI GARHWAL: Uttarakhand young boy killed in delhi riots
Image: Uttarakhand young boy killed in delhi riots (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: दिल्ली में हुई हिंसा के असर से उत्तराखंड भी अछूता नहीं रहा। उत्तराखंड के एक नौजवान DILBAR SINGH PAURI GARHWAL की दिल्ली दंगे में मौत हो गई। एक अन्य पहाड़ी युवक भी गंभीर रूप से घायल है, उसका दिल्ली के अस्पताल में इलाज चल रहा है। युवक की मौत के गम में पौड़ी के पैठाणी और चाकीसैंण में बाजार बंद है। लोगों ने युवक की मौत पर दुख जताया, हिंसा पर अपनी नाराजगी जाहिर की। स्थानीय व्यापारियों ने दो मिनट का मौन रखकर मृतक की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। पौड़ी क्षेत्र इस वक्त शोक में डूबा है। स्थानीय लोगों ने मौन जुलूस भी निकाला। मरने वाले युवक का नाम दिलबर सिंह है, वो पैठाणी के ढाईज्यूली पट्टी स्थित रोखड़ा गांव का रहने वाला था। दिलबर अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दिल्ली में नौकरी कर रहा था, लेकिन कुछ दिन पहले हुई हिंसा में 42 लोगों के साथ-साथ दिलबर भी अपनी जान से हाथ धो बैठा।

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26 फरवरी को दिलबर DILBAR SINGH PAURI GARHWAL के दोस्त श्याम सिंह ने उसके परिजनों को फोन करके घटना की जानकारी दी थी। परिजनों ने बताया कि दिलबर सिंह पिछले डेढ़ वर्ष से शाहदरा दिल्ली में एक बेकरी में काम कर रहा था। घटना वाले दिन वो गोदाम में सो रहा था, तभी दंगाईयों ने गोदाम में आग लगा दी। जिस वजह से दिलबर सिंह की मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर दिलबर के जीजा और चाचा बृहस्पतिवार को ही दिल्ली रवाना हो गए थे। दिलबर की मौत के बाद परिजनों ने उसका वहीं अंतिम संस्कार कर दिया। दिल्ली हिंसा में दिलबर का दोस्त श्याम सिंह भी घायल है, उसका जीटीबी अस्पताल में इलाज चल रहा है। बता दें कि दिल्ली के जो इलाके हिंसा से प्रभावित हैं, वहां उत्तराखंड मूल के हजारों लोग रहते हैं। हिंसा की वजह से लोग डरे हुए हैं। दंगे भड़कने के बाद कई लोगों ने अपने रिश्तेदारों के घर शरण ली हुई है। कई परिवार किसी तरह अपने गांव वापस लौट आए हैं।

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