उत्तराखंड उत्तरकाशीCoronavirus Uttarakhand:Chandraprabha aitwal conquered 32 peaks of the world

उत्तराखंड की चंद्रप्रभा ऐतवाल.. दुनिया की 32 चोटियों पर फहरा चुकी हैं तिरंगा

69 साल की उम्र में जब ज्यादातर लोग ठीक से चल-फिर भी नहीं पाते। उस उम्र में साल 2009 में चंद्रप्रभा (Chandraprabha Aitwal) ने इंडियन माउंटेन फाउंडेशन के साथ टीम लीडर के रूप में श्रीकंठ चोटी का सफल आरोहण किया। आइए जानें उनकी कहानी...

Coronavirus Uttarakhand: Coronavirus Uttarakhand:Chandraprabha aitwal conquered 32 peaks of the world
Image: Coronavirus Uttarakhand:Chandraprabha aitwal conquered 32 peaks of the world (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: पहाड़ की बेटियां ‘पहाड़ों’ पर जीत हासिल करने का हुनर खूब जानती हैं। अर्जुन अवार्ड विजेता महिला पर्वतारोही डॉ. हर्षवंती बिष्ट, प्रीति पोखरिया, ऐवरेस्ट विजेता शीतल जैसी ना जाने कितनी बेटियां हैं, जिन्होंने पर्वतों का गुरूर तोड़कर, अपने मजबूत हौसले का लोहा मनवाया। आज हम बात करेंगे उस महिला पर्वतारोही की, जिन्होंने पहाड़ की इन बेटियों के लिए पर्वतारोहण जैसे साहसिक क्षेत्र के दरवाजे खोले। जिसने बेटियों को पर्वतों पर जीत हासिल करने का हौसला दिया। इनका नाम है चंद्रप्रभा ऐतवाल (Chandraprabha Aitwal) । प्रसिद्ध पर्वतारोही चंद्रप्रभा ऐतवाल के नाम दुनिया की 32 चोटियों को जीतने का रिकॉर्ड है। तिब्बत और नेपाल की सीमा से लगे पिथौरागढ़ में एक गांव है छांगरू। चंद्रप्रभा ऐतवाल इसी गांव की रहने वाली हीं। उनका जीवन हिमालय जैसा जीवट है। उत्तरकाशी में स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग उत्तरकाशी (निम) आज भी चद्रप्रभा की राय और अनुभवों का अनुसरण करता है। उन्होंने अपने जीवन में हजारों लोगों को पर्वतारोहण के लिए प्रेरित किया। 24 दिसंबर 1941 में जन्मीं चंद्रप्रभा का बचपन मुश्किलों में बीता। उस वक्त बेटियों की पढ़ाई को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था, पर चंद्रप्रभा ने किसी तरह अपनी पढ़ाई जारी रखी। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

वर्ष 1966 में चंद्रप्रभा (Chandraprabha Aitwal) राजकीय बालिका इंटर कॉलेज पिथौरागढ़ में व्यायाम शिक्षक के पद पर तैनात हुई। वर्ष 1972 में उन्होंने निम से पर्वतारोहण का बेसिक और वर्ष 1975 में एडवांस कोर्स किया। जिसके बाद वो पर्वतारोहण, ट्रैकिंग और रिवर राफ्टिंग के क्षेत्र में कार्य करने लगीं। उन्होंने हजारों बालक-बालिकाओं को पर्वतारोहण के लिए प्रेरित किया। पहाड़ में सैकड़ों कैंप भी लगाए। 69 साल की उम्र में जब ज्यादातर लोग ठीक से चल-फिर भी नहीं पाते। उस उम्र में भी साल 2009 में चंद्रप्रभा ने इंडियन माउंटेन फाउंडेशन के साथ टीम लीडर के रूप में श्रीकंठ चोटी का सफल आरोहण किया। चंद्रप्रभा ऐतवाल को अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री, नेशनल एडवेंचर अवार्ड, नैन सिंह किशन सिंह लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, तेनजिंग नोर्गे एडवेंचर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित दर्जनों सम्मानों से नवाजा जा चुका है। चंद्रप्रभा ऐतवाल आज भी पहाड़ की बेटियों को पर्वतारोहण के लिए प्रोत्साहित करने के काम में जुटी हैं। ये उत्तराखंड का सौभाग्य है कि यहां चंद्रप्रभा ऐतवाल जैसी बेटियां जन्मी हैं। हाल ही में उत्तरकाशी में हुई माउंटेनियरिंग समिट में चंद्रप्रभा को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। जिसमें उन्होंने पर्वतारोहियों को कई गुर भी सिखाए। लोग आज भी चंद्रप्रभा ऐतवाल के साहस और धैर्य की मिसाल देते हैं।
यह भी पढ़ें - खुशखबरी: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन पर स्पेशल ट्रेन का सफल ट्रायल, देखिए वीडियो