उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालCoronavirus Uttarakhand:Coronavirus lockdown in uttarakhand

क्या उत्तराखंड तबाही के मुहाने पर खड़ा है? यहां करंट की तरह फैल सकता है कोरोना..पढ़िए और समझिए

उत्तराखंड में जिन पांच लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है, उन सब में एक बात कॉमन रही। वो ये कि कोरोना पॉजिटिव सभी लोग बाहर से उत्तराखंड आए थे। अगर हम अब भी नहीं संभले तो इसे बेकाबू होते देर नहीं लगेगी। पढ़िए कोमल नेगी का ब्लॉग

Coronavirus Uttarakhand: Coronavirus Uttarakhand:Coronavirus lockdown in uttarakhand
Image: Coronavirus Uttarakhand:Coronavirus lockdown in uttarakhand (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: कोरोना के चलते देश लॉकडाउन है। पूरे 21 दिन के लिए। उत्तराखंड में भी सड़कों पर सन्नाटा पसरा है, लगता है जैसे ये खामोशी कभी नहीं टूटेगी। उत्तराखंड में अब तक कोरोना के 5 पॉजिटिव केस आए । खैर...स्थिति फिलहाल कंट्रोल में लग रही है, लेकिन अगर हम सतर्क ना रहे तो इसे बेकाबू होते देर नहीं लगेगी। उत्तराखंड में जिन पांच लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई, उन सब में एक बात कॉमन है। वो ये कि कोरोना पॉजिटिव सभी लोग बाहर से उत्तराखंड आए थे। तीन आईएफएस अफसरों में कोरोना की पुष्टि हुई। तीनों ट्रेनिंग के लिए विदेश गए हुए थे। एक अमेरिकी नागरिक में भी कोरोना की पुष्टि हुई है। पौड़ी में जिस युवक में कोरोना की पुष्टि हुई, वो भी स्पेन से लौटा था। यानि उत्तराखंड में सभी कोरोना पॉजिटिव केसेज का ‘बाहरी’ कनेक्शन कॉमन रहा है। अब आपको उस खतरे के बारे में बताते हैं, जिससे उत्तराखंड इस वक्त जूझ रहा है। यक़ीन मानिए..बहुत ज्यादा सोचने की जरूरत है। आगे पढ़िए

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कोरोना का खतरा बढ़ने के बाद प्रवासी उत्तराखंडी लगातार पहाड़ लौट रहे हैं। एक रिपोर्ट कहती है कि अब तक 18000 से ज्यादा प्रवासी उत्तराखंड लौटे हैं, जिनमें विदेश और देश के अलग-अलग राज्यों में रहने वाले लोग शामिल हैं। कई लोग इस कदर लापरवाह हैं कि बिना स्क्रीनिंग के ही गांव लौटे। बस ये ही बात पहाड़ के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। बाहर से आने वाले लोगों को उत्तराखंड में आने की कोई मनाही नहीं है और होनी भी नहीं चाहिए। लेकिन ऐसे लोगों को अपनी जिम्मेदरियों को अपने साथ लेकर चलना होगा। वरना इनके साथ कोरोना वायरस भी उत्तराखंड में दाखिल हो सकता है। हमारी अपील है कि जो लोग बाहर से उत्तराखंड अपने गांव लौट रहे हैं, वो खुद को बचाने के लिए, अपने परिवार को बचाने के लिए, अपने गांव को बचाने के लिए, अपने उत्तराखंड को बचाने के लिए, अपने देश को बचाने के लिए अपने आप को क्वॉरेंटीन कर लें। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं...आगे पढ़िए मेडिकल व्य़वस्थाओं के बारे में

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याद रखिए...ऐसा नहीं हुआ तो उत्तराखंड पर बहुत बुरी बीतेगी। उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं तो दूर अस्पताल तक नहीं हैं। जहां अस्पताल है, वहां अस्पताल तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं। ऐसे में लोगों का बिना स्क्रीनिंग के गांवों मे दाखिल होना बड़ा खतरा हो सकता है। उत्तराखंड में कोरोना तीसरी स्टेज पर पहुंचा तो हालात बेकाबू होते देर नहीं लगेगी। यहां पर स्क्रीनिंग के बेहतर इंतजाम नहीं हैं। सवा करोड़ की आबादी पर सिर्फ 308 वेंटीलेटर हैं। हेल्थ सिस्टम पहले ही विशेषज्ञ डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। पहाड़ों में इलाज करने के लिए पर्याप्त डॉक्टर तक नहीं हैं। इसी तरह प्रदेशभर में सिर्फ एक हजार आइसोलेशन और 1500 क्वॉरेंटीन बेड की ही व्यवस्था है। प्रदेश सरकार कोरोना को हराने के लिए हरसंभव कोशिश कर रही है, आप भी इसमें मदद करें। हमारी आपसे अपील है कि मामले की गंभीरता को समझें। सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करें साथ ही अगर आप बाहर से लौटे हैं तो हेल्थ स्क्रीनिंग जरूर कराएं। स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का पालन करें।

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