उत्तरकाशी: वैसे तो हम उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने की खूब बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, मगर क्या वाकई हम उसे बचा पा रहे हैं? क्या हम पहाड़ों से शहरों की तरफ पलायन करने के साथ-साथ अपनी बोली और संस्कृति को भी भूलते जा रहे हैं? या हमें शहर की चकाचौंध, दिखावे वाली ज़िंदगी इतनी पसन्द आ गई है कि हम गढ़वाली या कुमाऊनी को बोलने में हिचकते हैं। देखिये.. कारण जो भी हो, इस बात को मानने से हम कभी इनकार नहीं कर सकते कि पहाड़ों की बोली और संस्कृति पहाड़ी लोग कहीं न कहीं भूल चुके हैं। मगर इन तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक बेहतरीन पहल की शुरुआत हुई है जिसके बाद उम्मीद लगाई जा सकती है कि लोग वापिस अपनी संस्कृति और अपनी मृदुल बोली की ओर आएंगे। देवभूमि उत्तराखंड की बोली भी उतनी ही मीठी और मधुर है जितने यहां के लोग। दरअसल सोशल मीडिया में एक शादी का कार्ड वायरल हो रहा है जो कि पूरी तरह से गढ़वाली बोली में छपवाया गया है और जो सोशल मीडिया पर खूब प्रशंसा बटोर रहा है। आगे देखिए ब्यो का कार्ड