उत्तरकाशी: नेलांग घाटी क्षेत्र में चीन की सीमा के पास अमरनाथ के समान बर्फ से बनी शिवलिंग की आकृति पाई गई है, शिवलिंग के पास नंदी जैसी आकृति भी मौजूद है। इस शिवलिंग की खोज स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स (SDRF) की टीम द्वारा नेलांग घाटी क्षेत्र में एक पर्वतारोहण अभियान के दौरान की गई है।
Shivlinga made of ice in Nelang Valley
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की 25वीं वर्षगांठ पर ट्रैकिंग और साहसिक खेलों के लिए नए स्थलों के विकास का निर्देश दिया था। इसके बाद, से एसडीआरएफ की टीमों को राज्य की उन चोटियों पर भेजा जा रहा है, जहां अब तक कोई मानवीय गतिविधियां नहीं हुई हैं। इसी अभियान के तहत बीते अप्रैल माह में SDRF की 20 सदस्यीय टीम उत्तराखंड में ट्रैकिंग की नई संभावनाओं की खोज के लिए नेलांग घाटी की कठिन चोटियों पर चढ़ाई करने निकला था। इस टीम ने नेलांग के नीलापानी क्षेत्र में 6,054 मीटर ऊँची एक अनाम चोटी पर विजय प्राप्त की, जहाँ अब तक कोई भी पर्वतारोहण दल नहीं पहुँचा था। इस दौरान टीम द्वारा इस चोटी पर लगभग 4300 मीटर की ऊँचाई पर बर्फ से बनी शिवलिंग की आकृति देखी गई।
4,300 मीटर ऊंचाई पर मिले बाबा बर्फानी
नेलांग घाटी के नीलापानी क्षेत्र में पाए गए शिवलिंग की आकृति बिलकुल जम्मू कश्मीर के अमरनाथ में स्थित शिवलिंग की तरह है। हालांकि अमरनाथ में स्थित शिवलिंग लगभग 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। वहीं नीलापानी क्षेत्र में 6,054 मीटर ऊंचाई वाले पर्वत पर स्थित शिवलिंग करीब 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। एसडीआरएफ की टीम इस खोज की रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार के पास भेजी है। सरकार द्वारा यदि इसे गंभीरता से लिया तो उत्तराखंड में भी अमरनाथ जैसी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की जा सकती है।
शिवलिंग तक पहुंचने का ये है रूट
आपको बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री धाम से दस किलोमीटर पहले लंकापुल के पास नेलांग वैली के लिए सड़क मार्ग उपलब्ध है। यहाँ तक पहुँचने के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेना आवश्यक है। नेलांग से नीलापानी तक किसी वाहन से पहुँचने के बाद यह कठिन ट्रैक शुरू होता है। इस मार्ग की शुरुआत बर्फीले रास्ते से होती है। लगभग साढ़े चार किलोमीटर की बर्फ के बीच ट्रैकिंग करने के बाद शिवलिंग जैसी आकृति वाले स्थान पर पहुँचा जा सकता है। बता दें कि उत्तरकाशी की नेलांग वैली में पार्वती कुंड भी स्थित है, जिसे देखने हर साल कई पर्यटक यहां पहुंचते हैं।