उत्तराखंड रुद्रप्रयागJakh raja kauthig rudraprayag district

देवभूमि में दिखा अद्भुत नज़ारा, दहकते अंगारों में नाचे जाख देवता..देखिए वीडियो

अगर आपने अब तक ये नज़ारा नहीं देखा है, तो जरूर देखिए। इस बार कोरोना इफेक्ट यहां भी दिखा, जिस वजह से भक्तों की भीड़ नहीं जुट पाई...देखिए वीडियो

Rudraprayag News: Jakh raja kauthig rudraprayag district
Image: Jakh raja kauthig rudraprayag district (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: करीब 5 मीटर के क्षेत्रफल में दहकते अंगारे और इन अंगारों के पास जाने की कोई सोच भी नहीं सकता। इन अंगारों की तपन इतनी जबरदस्त होती है कि 5 मीटर दूर से ही आप इसे महसूस कर सकते हैं। लेकिन इन्हीं अंगारों में जब जाख देवता नंगे पैर चलते हैं, तो विज्ञान वहीं खत्म हो जाता है। सारी की सारी बातें धरी रह जाती हैं। मन में आस्था का ज्वार फूटता है और मन खुद से ही सवाल पूछता है कि ये कौन सी धरती है जहां हम आ गए। दहकते अंगारों के बीच बाबा जाख को चलते देखना सौभाग्य कहा जाता है। अपनी आंखों के सामने जब आप दहकते अंगारों में जाख देवता को उतरते देख रहे हैं। केदारघाटी के रुद्रप्रयाग जिले में गुप्तकाशी से बस 5 किलोमीटर की दूरी पर है जाख देवता का प्राचीन मंदिर। जाख देवता को यक्षराज भी कहा जाता है। 14 अप्रैल को जाख देवता पश्वा पर अवतरित हुआ और उन्होंने एक बार फिर से धधकते अंगारों पर नृत्य किया। आगे देखिए वीडियो

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - पहाड़ की भावना चुफाल Tik Tok पर बनी 1 मिलियन लोगों की पसंद, देखिए ये वीडियो
ऐसा हर साल होता है लेकिन इस साल कोरोना वायरस की वजह से लोग बाबा जाख के दर्शन नहीं कर पाए। इसलिए हम आपके सामने ये वीडियो लेकर आए हैं। देवशाल, कोठेड़ा और नारायणकोटी गांव के लोगों ने जाखधार मंदिर परिसर में पहले ही सोशल डिस्टेंसिंग को मंत्रणा कर दी थी। कहा जाता है कि अग्नि में उतरने की ये परंपरा बीते 1100 साल से चली आ रही है। संक्रांति के दिन विंध्यवासिनी मंदिर से जाख देवता की मूर्ति को उनके मूल मंदिर लाया जाता है। इसके बाद यहां विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। अनुष्ठान के लिए काफी दिनों पहले से पहले से ही कई क्विंटल सूखी लकड़ियों को जलाया जाता है। ये लकड़ियां करीब 3 से 4 दिन तक जलती ही रहती हैं। इसके बाद ये लकड़ियां अंगारों में तब्दील हो जाती हैं। आगे देखिए वीडियो

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - पहाड़ के लोकगायक गजेंद्र राणा का नया गढ़वाली गीत, आप भी देखिए ये वीडियो
इसके बाद इन धधकते अंगारों पर जाख देवता नृत्य करते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही यहां कुछ विचित्र घटनाएं होती हैं। जाख राजा को बारिश का देवता भी कहा जाता है। कहा जाता है कि जब भी यहां कौथिग होता है और जैसे ही जाख देवता अंगारों के बीच भक्तों को अपना रूप दिखाते हैं तो इसके तरंत बाद बारिश शुरू हो जाती है। आप भी ये वीडियो देखिए।

सब्सक्राइब करें: