उत्तराखंड चम्पावतNaming ceremony completed online from Uttarakhand

उत्तराखंड to चंडीगढ़..यहां बेटी पैदा हुई, वहां पंडित जी ने वीडियो कॉल से कराई पूजा

लॉकडाउन में जिंदगी पूरी तरह ऑनलाइन हो गई है। चंडीगढ़ में उत्तराखंड के रहने वाले एक परिवार ने अपनी बेटी के नामकरण की रस्में वीडियो कॉल के जरिए पूरी कीं...आगे पढ़िए पूरी खबर

Champawat News: Naming ceremony completed online from Uttarakhand
Image: Naming ceremony completed online from Uttarakhand (Source: Social Media)

चम्पावत: लॉकडाउन के चलते जिंदगी मानों थम सी गई है। कुछ महीने पहले तक किसने सोचा था कि एक वायरस इस तरह पूरी दुनिया को घरों में कैद कर देगा। कोरोना का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इंसान तो इंसान, भगवान भी मंदिरों में कैद हो गए हैं। कई लोगों ने शादी-ब्याह टाल दिए। धार्मिक-सामाजिक कार्यक्रम प्रतिबंधित हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में ऑनलाइन सेवाएं लोगों की जिंदगी में नई खुशियां भर रही हैं, जिंदगी को काफी हद तक आसान बना रही हैं। ऐसा ही कुछ चंपावत के लोहाघाट में भी हुआ। यहां चंडीगढ़ में पैदा हुई बच्ची के नामकरण की सारी विधियां ऑनलाइन संपन्न कराई गईं। लोहाघाट के रहने वाले भुवनचंद्र चौबे चंडीगढ़ में रहते हैं। वो मूलरूप से सातखाल के रहने वाले हैं, जबकि उनके पंडित सुई इलाके में रहते हैं। एयरफोर्स में कार्यरत भुवन चंद्र की पत्नी नेहा ने 3 अप्रैल के दिन कन्या को जन्म दिया। पूरा परिवार खुश था, लेकिन लॉकडाउन के चलते चंडीगढ़ में नामकरण के लिए पंडित नहीं मिल पाए।

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धर्मसंकट की इस घड़ी में भुवनचंद्र ने अपने पिता गोविंद चौबे से सलाह मांगी। उन्होंने बेटे को ऑनलाइन नामकरण की सलाह दी। बच्ची के दादा ने अपने घर में कुल पुरोहित को आमंत्रण दिया। उत्तराखंड से चंडीगढ़ के बीच वीडियो कॉल की गई। चंडीगढ़ में बेटा-बहू ने कन्या को गोद में बैठाकर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सारी रस्में निभाईं। पंडित की आज्ञा मिलने के बाद कन्या को भगवान भास्कर के दर्शन कराए गए। और इस तरह नन्हीं बच्ची को नाम दिया गया हितांशी। नामकरण संस्कार पूरा होने पर परिवार बेहद खुश नजर आया। तकनीक ने इस परिवार को बड़े धर्मसंकट से उबार लिया। नामकरण संस्कार करने वाले पंडित हेमचंद्र पांडेय ने कहा देश को सुरक्षित रखने के लिए नामकरण जैसे संस्कार ऑनलाइन करना धर्म विरुद्ध नहीं है। तकनीक मुश्किल के वक्त में एक-दूसरे को जोड़े रखने में अहम योगदान दे रही है। सुई गांव के लोगों ने भी इस पहल का दिल खोलकर स्वागत किया। उम्मीद है कि दूसरे लोग भी कोरोना की गंभीरता को समझते हुए ऐसे प्रयास करेंगे।