उत्तराखंड टिहरी गढ़वालTehri garhwal bhelunta village story

गढ़वाल: चंडीगढ़ से पत्नी का शव लेकर गांव पहुंचा पति, सुनाई अपनी दुखद दास्तान

भगतराम चंडीगढ़ के होटल में काम करता था। लॉकडाउन हुआ तो नौकरी चली गई, मकान मालिक ने घर से निकाल दिया। बीमार पत्नी की अस्पताल में मौत हो गई। भगतराम के पास उसके अंतिम संस्कार तक के लिए पैसे नहीं थे...आगे पढ़िए पूरी खबर

Tehri Garhwal News: Tehri garhwal bhelunta village story
Image: Tehri garhwal bhelunta village story (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: लॉकडाउन के चलते लोगों पर बड़ी बुरी बीत रही है। खासकर वो लोग जो परदेस में रहते हैं। उनके पास ना तो नौकरी रही और ना ही ठिकाना। उस पर अगर किसी अपने को खोना पड़े तो सोचिए दिल पर क्या गुजरती होगी। नई टिहरी में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिले में रहने वाला एक युवक चंडीगढ़ के होटल में नौकरी करता था। पत्नी की मौत के बाद युवक के पास जब अंतिम संस्कार तक को पैसे नहीं रहे तो वो पत्नी की लाश लेकर पहाड़ लौट आया। जहां गांव वालों की मदद से महिला का अंतिम संस्कार किया गया। टिहरी के प्रतापनगर ब्लॉक में एक गांव है भेलुंता। यहां रहने वाला भगतराम चंडीगढ़ के होटल में नौकरी करता था। 25 वर्षीय पत्नी शांता देवी भी वहीं रहती थी। कुछ समय से शांता की तबीयत खराब थी। लॉकडाउन के चलते भगतराम उसका समय पर इलाज भी नहीं करा सका। 19 अप्रैल को शांता ने पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अब आगे पढ़िए

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पत्नी की मौत से भगतराम बुरी तरह टूट गया। जेब में फूटी कौड़ी तक नहीं थी, ऐसे में पत्नी का अंतिम संस्कार कैसे कराता। पर उसे उम्मीद थी कि गांव के लोग उसकी मदद जरूर करेंगे। इसी उम्मीद के भरोसे भगतराम प्राइवेट एंबुलेंस कर पत्नी का शव लेकर सोमवार को भेलुंता गांव पहुंच गया। दुख की इस घड़ी में गांववालों ने भगतराम को बड़ा सहारा दिया और साबित कर दिया कि पहाड़ में इंसानियत अब भी मरी नहीं है। ग्रामीणों ने 15 हजार रुपये इकट्ठा कर एंबुलेंस का किराया चुकाया। साथ ही भगतराम की पत्नी का अंतिम संस्कार भी कराया। भगतराम ने कहा कि लॉकडाउन के बाद मकान मालिक ने उससे कमरा खाली करा दिया। उसे किसी भी स्तर पर मदद नहीं मिली। परदेस में रह रहे पहाड़ियों से जुड़ी ये समस्या वाकई बहुत गंभीर है। जब आप और हम घरों में रहने भर से परेशान हो रहे हैं, तो जरा उन लोगों के बारे में भी सोचिए जिनसे लॉकडाउन ने सबकुछ छीन लिया। जीने की हर उम्मीद छीन ली। भेलुंता गांव के लोगों ने कहा कि पहाड़ के कई नौजवान और उनके परिवार दूसरे राज्यों में फंसे हैं, वहां तकलीफों का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार को ऐसे लोगों की मदद के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।