उत्तराखंड नैनीतालUttarakhand high court order to government for take action on schools

उत्तराखंड में निजी स्कूलों की मनमानी पर हाईकोर्ट सख्त..एक्स्ट्रा फीस नहीं वसूल सकते

नैनीताल हाईकोर्ट ने कहा कि निजी स्कूल ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर एक्स्ट्रा फीस नहीं वसूल सकते। ट्यूशन फीस भी सिर्फ वही स्कूल ले सकते हैं, जो ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं...आगे पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand high court: Uttarakhand high court order to government for take action on schools
Image: Uttarakhand high court order to government for take action on schools (Source: Social Media)

नैनीताल: लॉकडाउन के दौरान अभिभावकों पर लगातार फीस जमा करने का दबाव बना रहे स्कूलों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि जो स्कूल मैसेज, ईमेल और फोन से अभिभावकों पर छात्रों की फीस के लिए दबाब बना रहे हैं, उन पर कार्रवाई करें। हाईकोर्ट ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर स्कूल अपनी मनमानी नहीं कर सकते। ऑनलाइन क्लासेज के नाम पर बच्चों से एक्स्ट्रा फीस नहीं ली जा सकती। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से भी पूछा कि वो बताएं कि एलकेजी-यूकेजी कक्षा के बच्चों को किस तरह ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। कितने बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। लॉकडाउन के चलते हालात कितने बिगड़ गए हैं, ये तो आप जानते ही हैं। परीक्षाएं रद्द हो गईं, स्कूल बंद हो गए। लोगों के काम-धंधे छूट गए, पर स्कूल वाले अभिभावकों की परेशानी को समझ नहीं रहे।

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निजी स्कूल मैसेज, फोन और ईमेल कर अभिभावकों पर लगातार फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। इस मामले में देहरादून के रहने वाले कुंवर जपिंदर सिंह और अधिवक्ता आकाश यादव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। मंगलवार को इस पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की। जिसमें कोर्ट ने साफ कहा कि निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस मांग सकते हैं। ट्यूशन फीस भी सिर्फ वही स्कूल मांगेंगे, जो ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं। जो स्कूल ऑनलाइन क्लासेज नहीं चला रहे, वो ट्यूशन फीस नहीं मांग सकते। ट्यूशन फीस के बहाने अन्य शुल्क ना लिए जाएं। कोर्ट ने स्कूलों से अगले सत्र में फीस बढ़ोतरी ना करने को कहा। नैनीताल कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि फीस मामले में अभिभावकों कि शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए। नियमानुसार कार्रवाई की जाए। मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।