उत्तराखंड उधमसिंह नगरFamily reached Uttarakhand on foot from Rajasthan

हाय री बेबसी...राजस्थान से पैदल चलकर उत्तराखंड पहुंचा ये गरीब परिवार

हेंद्र सिंह मजबूरी के चलते राजस्थान से अपने परिजनों के साथ पैदल कई दिनों के सफर के बाद उत्तराखंड के बाजपुर पहुंचे। उनकी थर्मल स्क्रीनिंग करके होम क्वारंटाइन कर दिया गया है।

Uttarakhand Udham Singh Nagar News: Family reached Uttarakhand on foot from Rajasthan
Image: Family reached Uttarakhand on foot from Rajasthan (Source: Social Media)

उधमसिंह नगर: लॉकडाउन के कारण बुरा हाल है। सबसे ज्यादा समस्या उन उत्तराखंड के लोगों को हो रही है जो लॉकडाउन के कारण बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं। आर्थिक रूप से कमजोर एवं गरीब लोग परदेस में फंस रखे हैं और बेरोजगारी और परिवार की जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे हुए हैं। ऐसे लोगों की राज्य वापसी के लिए कोई भी कड़े कदम उठते नहीं दिख रहे हैं। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही बंद है, जिसके बाद सैकड़ों लोग पैदल ही उत्तराखंड राज्य में वापसी कर रहे हैं। जी हां, मीलों दूर परिवार के साथ कई दिनों की यात्रा के बाद लोग पैदल राज्य वापसी कर रहे हैं। सरकार द्वारा बोला जा रहा है कि प्रवासियों को सुरक्षित उनके राज्य वापस लाया जा रहा, मगर ऐसा है तो लोग वापस पैदल क्यों आ रहे हैं? वादों के तले कई गरीब दबे हैं जिनकी सुध नहीं ली जा रही है। ऐसी ही दिल चीर देने वाली खबर उधमसिंह नगर जिले से आई है। आगे पढ़िए

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विकासखंड बाजपुर के लंकुरा केलाखेड़ा निवासी महेंद्र मजबूरी के चलते राजस्थान से अपने परिजनों के साथ पैदल उत्तराखंड के बाजपुर पहुंचे। दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक विकासखंड बाजपुर के गांव लंकुरा केलाखेड़ा निवासी महेंद्र सिंह अपनी पत्नी मंजीत कौर और परिजन गुरप्रीत सिंह, हरप्रीत सिंह और जसप्रीत सिंह के साथ अलवर राजस्थान के गांव कुशखेड़ा गेहूं की कटाई के लिए गए थे। मगर 23 मार्च से लॉकडाउन हो गया और वह वहीं फंसे गए। आर्थिक रूप से कमजोर महेंद्र सिंह ने कई बार घर वापसी की गुहार लगाई मगर सुनवाई नहीं हो पा रही थी। जब उनके पास उपलब्ध संसाधन खत्म हो गए, पैसे भी समाप्त हो गए, सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिली तो महेंद्र सिंह ने अंतिम विकल्प चुना और परिजनों के साथ पैदल ही राजस्थान से उत्तराखंड के लिए निकल पड़ा। आगे पढ़िए

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इतना कठोर निर्णय लेना किसी के लिए भी मुश्किल होगा मगर मजबूरी इंसान से क्या-क्या नहीं कराती। महेन्द्र सिंह 6 मई को पैदल ही निकल पड़े। साथ में उनके परिजन थे। रास्ते ने लोगों ने भोजन इत्यादि की मदद की। बुलन्दशहर जिले के बॉर्डर पर पुलिस ने रोककर पूछताछ की जिसके बाद उनको रोडवेज बस में बिठा दिया गया। बस में बैठ कर वह रामपुर पहुंचे। इसके बाद पैदल ही बाजपुर बॉर्डर पहुंचे। बाजपुर पहुंच कर स्वास्थ्य टीम ने उनकी थर्मल जांच की। जांच में नॉर्मल पाए जाने के बाद उनको बस में बिठा कर लंकुरा रवाना कर दिया और होम क्वारंटाइन कर दिया गया। इस मजबूरी और इस बेबसी को आप भी समझ सकते हैं। क्या करें...घर तो लौटना ही है जनाब।