नैनीताल: आम इंसान के पास मजबूरी के सिवा और है ही क्या। लॉकडाउन में सबसे बुरी उन पर बीत रही है जो मेहनत-मजदूरी करने दूसरे राज्य में गए और वहीं फंस गए। उत्तराखंड सरकार द्वारा वादे किए जा रहे हैं कि वह प्रवासियों को राज्य में वापिस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार ने ये दावा भी किया है कि अब राज्य वापसी की प्रक्रिया बहुत आसान हो गई है, जिसके बाद भी कई लोगों को राज्य में वापस आने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ रही है। सवाल यह उठता है कि सरकार के दावों के बाद भी मजदूरों और गरीबों को सेवा का लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है? सरकार से घर वापसी की सभी उम्मीदें छोड़कर गरीब और मजदूर साइकिल पर तो कई पैदल ही अपने-अपने राज्य वापसी कर रहे हैं। ऐसी ही मजबूरी के मारे हैं नैनीताल स्थित रामनगर के बेतालघाट गांव के मूल निवासी भगीरथ। सरकार द्वारा मदद न मिलने के बाद भगीरथ ने राजस्थान के भीलवाड़ा से नैनीताल के लिए साइकिल से ही 800 किमी सफर तय करने का कठोर निर्णय लिया। तीन दिनों तक दिन-रात 800 किलोमीटर साइकिल से पैडल मारने के बाद भगीरथ अपने गांव पहुंचे हैं।
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हमारे लिए इसकी कल्पना करना भी मुश्किल है कि 800 किलोमीटर तक कोई साइकिल चला के कैसे जा सकता है। मगर मजबूरी और घर पहुंचने की चाह ने भगीरथ से यह असंभव प्रतीत होने वाला कार्य भी संभव करवा दिया है। भगीरथ राजस्थान के भीलवाड़ा में फास्टफूड का ठेला लगाते हैं। लॉकडाउन में उनका सारा काम चौपट हो गया और धंधा ठप पड़ गया। थोड़े दिन गुजारा करने के बाद बचे-खुचे पैसे भी खत्म हो गए। सरकार द्वारा उम्मीद थी कि मदद भेजी जाएगी मगर भगीरथ की उम्मीदों पर पानी फिर गया। पैसे खत्म हो जाने के बाद जब कोई विकल्प नहीं बचा तब भगीरथ ने मन मजबूत करके साइकिल से ही 800 किलोमीटर राजस्थान से नैनीताल जाने की ठानी। भगीरथ दो दिन पूर्व ही साईकल लेकर नैनीताल में अपने गांव बेतालघाट के लिए रवाना हो गए। उनके मन मे हिम्मत थी और घर पहुंचने की चाह थी। रास्ते में कई बार भगीरथ को पुलिस ने रोका। भगीरथ ने भावुक होकर हर जगह यही विनती करी कि वो अपने घर जाना चाहते हैं। आखिरकार 3 दिन तक साइकिल चलाने की कड़ी मशक्कत के बाद वह नैनीताल के रामनगर पहुंच गए हैं। जल्द ही वह अपने गांव भी पहुंच जाएंगे। भगीरथ ने लगातार 3 दिनों तक 800 किलोमीटर साइकिल चला कर राज्य में वापसी कर ली है और अपनी हिम्मत का प्रदर्शन दिया है।