उत्तराखंड देहरादूनRamesh bhatt blog on environment day

पर्यावरण दिवस विशेष.. जीवन बचा लो!

निश्चित तौर पर हमारी निरंतर बढ़ती जरूरतों के कारण कहीं न कहीं हम पर्यावरण के साथ संतुलन नहीं बैठा पा रहे हैं, इस बात को हमें गंभीरता से सोचना होगा।

Ramesh Bhatt: Ramesh bhatt blog on environment day
Image: Ramesh bhatt blog on environment day (Source: Social Media)

देहरादून: कहा जाता है कि धरती पर सांस तब तक ही सुरक्षित है जब तक कि पर्यावरण सुरक्षित है। मैं तो कहता हूं कि जब तक ये पर्यावरण सुरक्षित रहेगा, मानव जीवन सुरक्षित रहेगा। प्रकृति की सेवा मानव जीवन के लिए अत्यंत ज़रूरी कार्य हैं। जैसा कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि जन्मदिन हो सालगिरह हो या कोई और शुभ कार्य हमें एक पेड़ ज़रूर लगाना चाहिए। ये वाकई में बड़ी सोचने वाली स्थिति है कि हमें 5 जून को हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाना पड़ रहा है, मानव जीवन तो पेड़ पौधों, पानी के स्रोतों, पशु पक्षियों के आसपास सदियों से जीवन जीता आ रहा है, लेकिन आखिर, ऐसी क्या जरूरत आ पडी कि हमें पर्यावरण बचाने के लिए पर्यावरण दिवस मनाना पड़ रहा है। निश्चित तौर पर हमारी निरंतर बढ़ती जरूरतों के कारण कहीं न कहीं हम पर्यावरण के साथ संतुलन नहीं बैठा पा रहे हैं, इस बात को हमें गंभीरता से सोचना होगा। वायु प्रदूषण आज लाखों लोगों की जिंदगी लील रहा है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में 2017 में वायु प्रदूषण के कारण 50 लाख मौतें हुई। भारत में वायु प्रदूषण से 2017 में 12 लाख मौतें हुई। दुनिया के अन्य देशों में भी जहरीली हवा का कहर इसी तरह जारी है। वायु प्रदूषण से स्ट्रोक, शुगर, हर्ट अटैक, फेफड़े के कैंसर या फेफड़े की पुरानी बीमारियों के पनपने का खतरा बना हुआ है। भारत के शहरों पर प्रदूषित हवा का कहर दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है।

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हमारी जीवनशैली और विकास की अंधी दौड़ ने हवा को जहरीला बना दिया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अनुसार 2010 से 2014 के बीच ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 22 प्रतिशत बढ़ गया है। चूंकि हमें कुदरत ने ऐसा राज्य दिया है, जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है, यहां प्रकृति अपने हर रूप में मौजूद है। यह राज्य वन संपदा से भऱपूर है, यह राज्य पर्वतराज हिमालय का आशियाना है यह राज्य गंगा और यमुना का मायका है, इन नदियों से देश के 65 फीसदी भूभाग की प्यास बुझती है इसलिए पर्यावरण की रक्षा के लिए हमारी जिमेदारियां भी सबसे ज्यादा हो जाती हैं पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी चिंता करना हमारे प्रदेश का इतिहास रहा है, गौरा देवी को कौन भूल सकता है, जिन्होंने वृक्षों की रक्षा के लिए चिपको आंदोलन शुरू किया था। सुंदर लाल बहुगुणा, चंडी प्रसाद भट्ट, जगत सिंह जंगली, ऐसे तमाम नाम हैं जिन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए व्यापक अभियान चलाया। चूंकि अब पर्यावरण के लिहाज से कई बड़ी चुनौतियां सामने हैं, इसलिए इन सभी से प्रेरणा लेकर हमें चार कदम और आगे चलना है। और एक आम नागरिक होने के नाते सबसे पहला और सबसे बडा काम जो हम कर सकते हैं वो है पेड़ लगाना। पानी बचाकर, अपने जलस्रोतों का संरक्षण करके, अपनी धरती को हरा भरा बनाकर हम अपना छोटा सा योगदान दे सकते हैं। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा जैसी वैकल्पिक स्रोतों का प्रयोग बढ़ाकर भी प्रदूषण कम किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार और वरिष्ठ पत्रकार रमेश भट्ट की कलम से