उत्तराखंड उत्तरकाशीself empoloyment story satpal singh aswal naugaon uttarkashi

पहाड़ के युवा ने पेश की स्वरोजगार की मिसाल, सब्जियां बेचकर हर महीने तीस हजार रुपये कमाई

पहाड़ लौटे प्रवासी चाहें तो संकट के इस समय को रोजगार के अवसर में बदल सकते हैं। उत्तरकाशी के नौगांव में रहने वाले सतपाल सिंह असवाल भी यही कर रहे हैं, जानिए इनकी कहानी...

Self Employment Uttarakhand: self empoloyment story satpal singh aswal naugaon uttarkashi
Image: self empoloyment story satpal singh aswal naugaon uttarkashi (Source: Social Media)

उत्तरकाशी: लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में हजारों प्रवासी उत्तराखंड वापस लौट आए हैं। ये लोग इन दिन रोजगार के अवसर ढूंढ रहे हैं, सरकार भी प्रवासियों की मदद के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। अब ये प्रवासी चाहें तो संकट के इस समय को रोजगार के अवसर में बदल सकते हैं। उत्तरकाशी के नौगांव में रहने वाले सतपाल सिंह असवाल भी यही कर रहे हैं। सतपाल सब्जियों का उत्पादन कर हर महीने 30 हजार से ज्यादा की कमाई करते हैं। पहाड़ का ये युवा किसान स्वरोजगार से सशक्तिकरण की मिसाल बन गया है। गांव के दूसरे युवा भी उनकी देखादेखी फल-सब्जी उत्पादन के लिए आगे आने लगे हैं। 33 साल के सतपाल बगासू गांव में रहते हैं। पलायन की वजह से उनके गांव के लोग बाहर जाकर नौकरी करने लगे। सतपाल भी चाहते तो ऐसा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने गांव में रहकर ही कुछ बेहतर करने की ठानी।

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7 साल पहले उन्होंने सब्जी उत्पादन का कारोबार शुरू किया और आज उन्हें इसमें अच्छा मुनाफा हो रहा है। वो गांव में उत्पादित राई, कद्दू, बींस, कलनिया, चाबरू, आलू जैसी सब्जियों को खरीद कर नौगांव के बाजार में बेचते हैं। जिससे उन्हें हर महीने 30 हजार रुपये तक की कमाई आराम से हो जाती है। सतपाल हर दिन करीब एक हजार रुपये की बचत कर लेते हैं। सतपाल कहते हैं कि अपने यहां सब्जी उत्पादन करने के साथ-साथ वो आस-पास के गांवों से सब्जियां खरीदकर बेचते हैं। पहले वो सार्वजनिक वाहनों के जरिए सब्जियां एक जगह से दूसरी जगह ले जाया करते थे। साल 2016 में उन्होंने अपना वाहन खरीदकर सब्जियों की बिक्री का काम शुरू कर दिया, जिससे उन्हे काफी फायदा हुआ। सब्जियों की बिक्री से सतपाल खुश हैं, साथ ही स्थानीय लोग भी। क्योंकि उन्हें सही दाम पर गांव में उगाई गई ऑर्गेनिक सब्जियां मिल रही हैं। सतपाल को देखकर अब गांव के दूसरे युवा भी सब्जी-फल उत्पादन को रोजगार के तौर पर अपनाने लगे हैं।